सहारनपुर में एक गांव ऐसा है, जहां पर होलिका दहन नहीं होता। मान्यता है कि गांव के एतिहासिक मंदिर में महादेव का वास है। इसलिए जब होलिका दहन किया जाता है तो भगवान के पैर झुलस जाते हैं।
सहारनपुर से करीब 36 किमी दूर नानौता के पास स्थित है बरसी गांव। गांव का इतिहास महाभारत कालीन माना जाता है। बरसी गांव में भगवान शिव का प्राचीन और एतिहासिक मंदिर है। किंवदंती है कि महाभारत काल में बरसी गांव में एक बार होलिका दहन किया गया था, जिसके बाद भगवान शिव के पैर झुलस गए थे। इसके बाद गांव में आज तक होलिका दहन नहीं हुआ है।
महाभारत युद्ध के समय हुई थी मंदिर की स्थापना
बरसी मंदिर की स्थापना को लेकर भी एक पौराणिक कथा है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण महाभारत युद्ध के समय हुआ था। कौरवों और पांडवों की सभा में मंदिर निर्माण की बात तय हुई थी। दुर्योधन ने बरसी गांव में मंदिर का निर्माण करा दिया था, लेकिन जैसे ही भीम को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी गदा से मंदिर के दरवाजे को घुमा दिया था। इस कारण मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है। जबकि अधिकांश मदिरों के मुख्य द्वार पूर्व की ओर होते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर गुड़ और कद्दू चढ़ाते हैं।
शादीशुदा बेटियां दूसरे गांव में करती हैं होली पूजन
गांव के ही डा. योगेश बताते हैं कि भगवान शिव के पैर न झुलसे, इसके लिए शादीशुदा बेटी होली पर गांव में आती तो हैं लेकिन होली का पूजन नहीं होता। बेटियां या फिर कोई विवाहिता जिसे होली का पूजन करना होता है। वह अपनी ससुराल और मायके की परंपरा अनुसार होली पूजन करने पड़ोस के गांव टिकरौल में जाती हैं। वहीं पर होलिका पूजन करके आती हैं।
कण-कण में भगवान शिव का वास
शिव मंदिर के महंत भोपाल गिरि ने बताया कि गांव में कण-कण में भगवान शिव का वास है। पूर्वजों के समय से ही परम्परा है कि गांव बरसी में होलिका दहन नहीं किया जाता। क्योंकि माना जाता है कि भगवान शिव के पैर झुलस जाते हैं। लोगों की चली आ रही श्रद्धा से यह भी दर्शाता है कि इस गांव के लोगों का भगवान शिव के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दुल्हन… जिसने हक़ मेहर में मांगीं एक लाख रुपए मूल्य की किताबें
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