न्यूज-व्यूज. किसान आंदोलन लंबे समय से चल रहा है, लेकिन बीच-बीच में खबरें आती रहती हैं कि किसान आंदोलन ठंडा पड़ रहा है, किसान आंदोलन खत्म हो रहा है, लेकिन क्या यह सच है?
हकीकत यह है कि किसान आंदोलन कामयाब हो चुका है, उसका मकसद पूरा हो गया है कि- आम किसान यह जान गया है कि मोदी सरकार के तीन कृषि कानून उनके हित में नहीं हैं, इसका फायदा केवल उद्योगपति मित्रों को होगा, लिहाजा अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आंदोलन में कितने किसान हैं, कितने आ रहे हैं, कितने जा रहे हैं.
किसान आंदोलन तो किसानों के दिलों में बस गया है, चाहे किसान दिल्ली सीमा पर बैठा है, चाहे खेत में काम कर रहा है, चाहे घर पर है.
इसलिए, यह मान लेना कि किसान आंदोलन खत्म हो रहा है, सरकार की बड़ी भूल साबित होगी और यकीनन समय आने पर इसके परिणाम भी सामने आएंगे.
खबर है कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि है शाहीन बाग आंदोलन की तरह कोरोना का डर दिखाकर सरकार किसान आंदोलन को खत्म नहीं करवा सकती. उनका कहना है कि पूरी सरकार इस समय बंगाल में है, इसलिए किसान भी अपने खेतों में हैं, जैसे ही सरकार दिल्ली लौटेगी, किसान भी यहां भारी संख्या में लौट आएगा.
यही नहीं, उन्होंने कोरोना के हालात के मद्देनजर मोदी सरकार पर व्यंग्यबाण भी चलाए कि जिस राज्य में चुनाव होते हैं, क्या वहां कोरोना नहीं फैलता? किसानों को जहां मीटिंग करनी होती है, वहां कोरोना का हवाला दिया जाता है, पर जहां चुनाव होते हैं वहां कोरोना कभी क्यों आड़े नहीं आता!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जहां किसान मीटिंग करना चाहता है वहां कोरोना है, जहां चुनाव है वहां कोरोना नहीं है- @RakeshTikaitBKU #FarmersProtest #CoronavirusIndia pic.twitter.com/HjVkdm4pkp
— News24 (@news24tvchannel) April 11, 2021
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