प्रदीप द्विवेदी. मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से देश में किसान आंदोलन चल रहा है, जिसका असर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में तो नजर आ रहा है, लेकिन पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात में न तो इसका समर्थन और न ही विरोध नजर आ रहा था, लेकिन, अब वहां भी किसान आंदोलन शुरू हो गया है.
हालांकि, अभी इसका असर कम नजर आ रहा है, किन्तु यह जारी रहा, तब भी मोदी सरकार की परेशानी तो बढ़ेगी ही.
तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में और दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में गुजरात में आंदोलन की शुरुआत करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत के गुजरात कार्यक्रम ‘किसान संवाद‘ को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला का पूर्ण सहयोग और समर्थन रहा है.
इस यात्रा के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने इसे गुजरात की आजादी का आंदोलन करार दिया है.
उनका कहना है कि- गुजरात का किसान, मजदूर, युवा दहशत में है, इनका डर निकालने के लिए हम यहां आए हैं. ट्रैक्टर और हल क्रांति से होगा, गुजरात आजाद.
यही नहीं, उनका तो यह भी कहना है कि जमीन बचाने के लिए आंदोलन का हिस्सा बनना पड़ेगा, बेरिकेड्स भी तोड़ने पड़ेंगे. यह आंदोलन हर मजदूर, किसान, बेरोजगार, युवा, कर्मचारियों का है. ट्रैक्टर और ट्विटर पर सक्रिय रहें युवा.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि किसान नेता गुजरात में किसान आंदोलन खड़ा करने में कामयाब हो गए, तो मोदी सरकार के तेवर ठंडे होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Glimpse from yesterday's North Gujarat events!#GujaratWithFarmers @RakeshTikaitBKU @OfficialBKU @Kisanektamorcha pic.twitter.com/aN6g0gRKi9
— Shankersinh Vaghela (@ShankersinhBapu) April 5, 2021
क्या गुजरात में किसान आंदोलन का असर नजर आएगा?
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