अशोक भाटिया. बांड मूवीज की ऑफिशियल वेबसाइट पर क्लिक करने पर पता चलता है कि बांड फिल्म ‘नो टाइम टू डाई‘ पर भी कोरोना वायरस का डर हावी हो गया है. वेबसाइट पर लिखा आ रहा है कि फिल्म का प्रदर्शन निरस्त कर दिया गया है. अलबत्ता, जेम्स बांड ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर लिखा आ रहा है कि- नो टाइम टू डाई अक्टूबर 2021 में रिलीज होगी. कोविड-19 का कहर केवल विमान कंपनियों और पर्यटन उद्योग पर ही नहीं टूटा है. इसकी चपेट में फिल्म उद्योग भी आ चुका है. जेम्स बांड फिल्मों समेत कई फिल्मों का प्रदर्शन रोक दिया गया है. भारत में बालीवुड को भी इस वायरस के कारण मंदी आने का डर सताने लगा है.
हिन्दी फिल्म उद्योग की कई बड़ी फिल्मों का प्रदर्शन रोके जाने की आशंकाएं बन रही हैं. अक्षय कुमार की ‘सूर्यवंशी’ और रणबीर कपूर की ’83’ की रिलीज डेट आगे खिसकाई जा सकती है. जाह्नवी कपूर की ‘गुंजन सक्सेना - द कारगिल गर्ल’, अभिनेत्री कंगना रनौत की ‘थलाईवी’ और इरफान खान की ‘अंग्रेजी मीडियम’ पर इस लॉकडाउन का बुरा असर होगा. प्रदर्शन टालने से फिल्मों का बजट और बढ़ जाएगा. किसी भी फिल्म की सेहत के लिए आवश्यक है कि उसका बजट हल्का-फुल्का रहे. बजट भारी होने पर बॉक्स ऑफिस की चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं. यह चुनौती केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के फिल्म उद्योग के सामने खड़ी हो गई है. कोरोना वायरस के भय के चलते थियेटर्स में फुट फाल कम हो चुका है. इसका सीधा नुकसान डिस्ट्रीब्यूटर्स और थियेटर संचालकों को हो रहा है. यदि कोरोना की समस्या का इलाज न निकला तो फिल्म उद्योग कुछ ही समय में भयंकर घाटे में आ जाएगा.
देश के कई प्रदेशों ने 30 अप्रैल तक थियेटर बंद करने का निर्णय ले लिया है. इसका बुरा असर पहले से थियेटर्स में चल रही फिल्मों पर पड़ेगा. बागी-3 के कलेक्शन पर कोरोना वायरस का बुरा असर हुआ है. यदि कोरोना के मामले भारत में बढ़ने जारी रहे तो कुछ ही समय में थियेटर्स में सन्नाटा छा जाएगा. वायरस के कहर के चलते कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग रोक दी गई है.
हालीवुड स्टार डेनियल क्रेग की जेम्स बांड सीरीज की फिल्म ‘नो टाइम टू डाय’ का बजट लगभग 1800 करोड़ है. ये अब तक की सबसे भव्य लागत वाली बॉन्ड फिल्म है. इसकी रिलीज टल जाने का असर बजट पर होगा और जब नवंबर में ये फिल्म प्रदर्शित होगी तो इसका बजट लगभग 2000 करोड़ हो चुका होगा. हालीवुड में जिन फिल्मों पर रिलीज टालने का संकट आने वाला है, उनमे ‘ब्लैक विडो’, एफ-9, वंडर वुमन 1984, टाप गन और मेवरिक शामिल हैं. सिनेमा के लिए ये दौर बहुत तकलीफदायक होता जा रहा है.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के अनलॉक होने पर नए दिशा-निर्देश के तहत सिनेमा हाल खोले गए. फिल्मों और टीवी सीरियलों की शूटिंग जारी हुई. उम्मीद बंधी थी कि फिल्म और टीवी उद्योग से जुड़े 2.5 लाख श्रमिकों को काम मिलना शुरू हो जाएगा जिनमें जूनियर आर्टिस्ट, तकनीशियन, सेट डिजाइनर, बढ़ई और बैकग्राउंड डांसर आदि शामिल हैं. कोरोना के चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए. उनकी मदद करने के लिए छिटपुट प्रयास हुए जो अपर्याप्त थे. इस तरह की घटनाएं भी सामने आईं जिनमें बताया गया कि किसी कलाकार ने आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या कर ली. मुंबई में कई फ्रीलान्स फिल्म जर्नलिस्ट जिनकी रोजी रोटी फिल्म उद्योग की खबरों को इकट्ठा करने व छपवाने पर चलती थी, के चूल्हे ठन्डे पड़ गए व उनमें से तीन कोरोना के शिकार होकर स्वर्ग सिधार गए .
अब कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए लगता है कि फिल्म जगत से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी का संकट 2021 में भी टलता नजर नहीं आ रहा. महाराष्ट्र में अब फिर से नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. सरकार द्वारा नए प्रतिबंध लगाए गए हैं. नाइट कर्फ्यू का अर्थ यही है कि फिल्म उद्योग से जुड़ी गतिविधियां ठप्प होकर रह जाएंगी. अब केवल 33 प्रतिशत स्टाफ के साथ ही शूटिंग की जा सकती है. फिल्म निर्माताओं को सलाह दी है कि वे बड़े डांस और मारधाड़ वाले दृश्यों की शूटिंग नहीं करें.
इस पाबंदियों से जूनियर एक्टर्स और दिहाड़ीदारों पर फिर से बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है. पाबंदियों का अर्थ यही है कि बड़े बजट की फिल्में अपनी लागत भी पूरी नहीं कर पाएंगी. जो निर्माता, वितरक अपनी फिल्मों को बड़े पर्दे पर रिलीज करने की योजना बना रहे थे, उन्हें अपनी योजना टालनी पड़ेगी. अक्षय कुमार खुद ही कोरोना संक्रमित नहीं हुए बल्कि उनकी फिल्म रामसेतु की यूनिट के 45 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, आमिर खान, विकी कौशल, कार्तिक आर्यन आदि भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. वायरस के तेजी से प्रसार के बीच शूटिंग करना जोखिम भरा हो चुका है. रामसेतु की यूनिट के अधिकांश सदस्यों के कोरोना संक्रमित हो जाने से फिल्म उद्योग में खौफ फैल गया है.
हालात ऐसे नहीं लगते कि कोरोना की लहर जल्द शांत पड़ जाएगी. अगर इस पर काबू पाने में लम्बा समय लगा तो बॉलीवुड के लगभग बड़े निर्माता तो प्रभावित होंगे ही बल्कि भाषाई फिल्म निर्माण करने वाले और टीवी निर्माता, निर्देशक प्रभावित होंगे. फिल्मों के निर्देशन का शेड्यूल 2021 में भी गड़बड़ाता नजर आ रहा है. देश में 6327 सिंगल स्क्रीन सिनेमा समेत साढ़े 9 हजार स्क्रीन हैं. बीते साल ओटीटी की खूब चर्चा रही. ओटीटी पर फिल्में रिलीज करने का चलन बढ़ा. इससे फिल्म और धारावाहिक निर्माताओं को थोड़ी राहत मिली लेकिन इसका असर मल्टीप्लेक्स कारोबार पर पड़ा. सिनेमाघर बंद होने से ओटीटी विकल्प जरूर बना लेकिन इतने बड़े उद्योग को ओटीटी नहीं संभाल सकता. दस-बीस लाख की लागत से बनी फिल्मों के लिए तो ओटीटी ठीक है लेकिन आजकल 300 से 500 करोड़ लागत तक की फिल्मों के लिए देश भर में सिनेमाघर चाहिए. उम्मीद तो थी कि अनलॉक के बाद गतिविधियां सामान्य हो जाएंगी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने उम्मीदों को धराशायी कर दिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन से भी ज्यादा होगी, आईएमएफ का 12.5 फीसदी उछाल का अनुमान
वास्तु के अनुसार विशेष उपाय करने से निसंदेह आर्थिक रूप से स्थिति मजबूत होगी
धन-दौलत और आर्थिक उन्नति के लिए अपने घर मे लगाएं जेड प्लांट
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का समर्थन किया
Leave a Reply