पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित मेडिकल अस्पताल हो गया विक्टोरिया, जहां पर कोरोना संबंधी इलाज को लेकर कलेक्टर से लेकर मुख्य स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी भले ही बड़े बड़े दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, मेडिकल में कोरोना मरीज की मौत हो गई, जिसका शव पाने के लिए परिजनों को सुबह से शाम हो गई. इसी तरह विक्टोरिया अस्पताल की कैजुअल्टी में ड्यूटी कर रहे डाक्टर भरत दुबे बुलाने पर बाहर नहीं आए, जिसके चलते एम्बुलेंस में पड़ी महिला की मौत हो गई.
बताया जाता है कि केंट क्षेत्र में रहने वाली महिला को परिजन एम्बुलेंस में लेकर परिजन विक्टोरिया अस्पताल पहुंचे, जहां पर पदस्थ डाक्टर भरत दुबे गहरी नींद में सो रहे थे, जिन्हे उठाया तो भड़क गए, उन्हे महिला की हालत के बारे में जानकारी दी तो उन्होने इलाज करने के बजाय अपना गुस्सा जीभर के लोगों पर उतारा, इसके बाद वे एम्बुलेंस तक पहुंचे, उस वक्त महिला की मौत हो चुकी थी, इसके बाद भी डाक्टर दुबे आक्रोशित परिजनों को समझाने के बजाय धमकी देते नजर आए, यहां तक कि उनहोने गालियां बकते हुए मोबाइल निकालकर लोगों को बुलाना तक शुरु कर दिया, खासबात तो यह है कि मामले की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से भी की गई लेकिन उन्होने भी मामले में कोई कार्यवाही करने की जरुरत नहीं समझी. मामले में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रामदास यादव ने डाक्टर के अमानवीय रवैए पर कार्यवाही की मांग की है. इसी तरह मेडिकल अस्ताल में भी मरीजों के साथ होने वाला अमानवीय व्यवहार अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है,
यहां पर कोरोना क ा इलाज भी भगवान भरोसे ही है, इंदौर में पाजिटिव हुए आनंदपुरी गोस्वामी को परिजनों ने मेडिकल अस्पताल में तीन दिन पहले भरती कराया, जिनकी पिछले दिन मौत हो गई, आनंदपुरी गोस्वामी की मौत की खबर भी परिजनों को चार घंटे बाद दी गई, इसके बाद डाक्टरों ने कहा कि कुछ देर बाद शव मरचुरी के पास मिल जाएगा, देर शाम होने पर शव परिजनों को दिया गया, इस बीच परिजन इधर से उधर भटकते रहे, प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर डाक्टरों तक फोन पर खबर दी गई लेकिन किसी ने भी परिजनों की मदद नहीं की. गौरतलब है कि महाकौशल क्षेत्र के सबसे बड़े मेडिकल अस्पताल में विभिन्न जिलों से इलाज कराने के लिए लोग आ रहे है, ऐसे में जूनियर डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों का व्यवहार उन्हे तिल तिल मरने के लिए मजबूर कर रहा है, खासबात तो यह है कि जूनियर डाक्टरों पर किसी का भी दबाव नहीं है, वरिष्ठ डाक्टर या अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई एक्शन लिया जाता है कि जूनियर डाक्टर अपने हड़ताल रुपी हथियार को सामने लेकर आ जाते है, जिसके चलते इनका मनमाना रवैया जारी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर: राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने दिए एक करोड़ रुपए
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