राजस्थान में प्रदेश के राजनेताओं के दबाव से मुक्त पहला अखबार था- नवभारत टाइम्स!

राजस्थान में प्रदेश के राजनेताओं के दबाव से मुक्त पहला अखबार था- नवभारत टाइम्स!

प्रेषित समय :08:02:25 AM / Sun, Apr 18th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. राजस्थान की पत्रकारिता में समय-समय पर राजस्थान पत्रिका, नवज्योति और राष्ट्रदूत का असर रहा, लेकिन नवभारत टाइम्स की राजस्थान में एंट्री के साथ ही प्रदेश में पत्रकारिता की तस्वीर ही बदल गई। राजस्थान में प्रदेश के राजनेताओं के दबाव से मुक्त पहला अखबार था- नवभारत टाइम्स, लेकिन पत्रकारिता की जंग जीत जाने वाला नवभारत टाइम्स प्रबंधन के मोर्चे पर उतना असरदार नहीं रहा, नतीजा- राजस्थान से प्रकाशन बंद हो गया। यह बात अलग है कि इस दौरान राजस्थान में जो पत्रकारों की टीम तैयार हो गई, वही टीम बाद में दैनिक भास्कर की कामयाबी का सशक्त आधार बनी।

नवभारत टाइम्स के समय में अनेक पत्रकार देश-प्रदेश में काफी लोकप्रिय हो गए थे और पाठक उन्हें नाम से जानने लगे थे. ऐसे ही देश के वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा ने उन दिनों का याद करते हुए लिखा है....

1985 में अभी सर्दियां आने को थी और हम नवभारत टाइम्स निकालने जयपुर आ गए। महीना था अक्टूबर। सम्पादक दीनानाथ मिश्रा की चयनित बेहतरीन टीम। सभी युवा। ज्यादातर अविवाहित। मूल और अमूल्य (?) का मिश्रण। मूल माने राजस्थान के, अमूल्य माने बाहर से आए। श्री महेश जोशी, डा हर्ष देव, राजेश बादल, अजित वडनेरकर, शकील अख्तर, मणिमाला, इरा झा, अनन्त मित्तल और पोस्ट करने वाला यह ( ख़ाकसार कभी नहीं बोलूंगा) बाहर से जयपुर आए थे। बाहर से आने वालों के पास पाने के लिये सबकुछ था। अपना ठिया खोकर तो आए ही थे। मूल और अमूल्य के बीच भरपूर प्यार भी था। ( कुछ जलोकड़े इधर भी थे और उधर भी, पर क्या फर्क पड़ता है ) सबने मिलकर इतिहास रचा। कोई माने या न माने। लेकिन समीर जैन को कौन समझाता। अखबार बंद हो गया। मैं कुछ वक्त पहले निकल गया था। नभाटा के कुछ युवा दोस्तों ने चैन की सांस ली और कहा- पापा कटा। पापा कहां कटता है ? मैने अपने दायरे मे रह कर ठीक ठाक ही किया। पर मुझे फख्र है उन दोस्तो पर  जिन्होंने राजस्थान छोड़ने के बाद बहुत अच्छा किया। शकील, अजित, इरा, अनन्त सबने। बादल के बारे में अजित बता पाएंगे। हर्ष जी के बारे मे इरा। मेरा इनसे सम्पर्क नहीं रह पाया। हर्ष जी से कुछ समय पहले फोन पर हेलो शलो जरूर हुई, पर उन्हे पुराने पहचानियो से कुछ खास लगाव नहीं दिखा। अजित, शकील, इरा से जीवन्त

संपर्क है।

मूल के तलवार जी साहित्य में बहुत अच्छा कर रहे हैं। महेश झालानी कोरोना से निपट कर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। महेश शर्मा नवज्योति के सम्पादन दायित्व से निवृत होकर आराम फरमा रहे हैं। केके रहे नहीं। कैलाश शर्मा पत्रकारिता और कांग्रेस के बीच संघर्ष शील बने हुए हैं। गजेन्द्र रिझवाणी पत्रकारिता से तौबा कर खुद का प्रकाशन व्यवसाय कर रहे हैं। विजय त्रिवेदी, मनोज भटनागर आदि इत्यादि कहाँ हैं पता नहीं। संजीव मिश्र रहे नहीं। कोई शेष हो तो पता नहीं।

टाइम्स के दोस्तों में बस अजय और प्रकाश भंडारी ही संपर्क मे हैं। किस्नूर, शबनम, अभय, कपूर साहब, महेश डागा को बहुत याद करता हूँ। शबनम कबीरपंथी हो गई।

बस यूँ हीं, कुछ यादें, कुछ बिसरी ।

अभी कुछ समय पहले नवभारत टाइम्स के स्टार रिपोर्टर रहे रघु आदित्य ने भी उन दिनो को याद करते हुए लिखा था- 75 साल के इस सफर में 10 साल हम भी रहे साथ.. यहीं से की पत्रकारिता की शुरुआत.. गर्व है कि उस दौर के अग्रज आज हिंदी पत्रकारिता के सिरमौर हैं.. धन्यवाद नवभारत टाइम्स पद, प्रतिष्ठा व पहचान दिलाने के लिए!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

राजस्थान: शाम 6 बजे से सोमवार सुबह 5 बजे तक पूरे प्रदेश में लॉकडाउन, शनिवार को उपचुनावों की वोटिंग को छूट

राजस्थान सरकार का निर्णय: शुक्रवार शाम 6 बजे से सोमवार सुबह 5 बजे तक रहेगा सख्त कर्फ्यू

राजस्थान के फलौदी जेल से 16 कैदी फरार, सभी दौड़ते हुऐ निकले और स्कॉर्पियो में बैठकर भाग गए

राजस्थान के भीलवाड़ा में चैकिंग के दौरान दो चेक पॉइंट पर तस्करों की गोलीबारी में दो कांस्टेबलों की मौत

राजस्थान के बारां में भड़की सांप्रदायिक हिंसा, लगाया गया कर्फ्यू, इंटरनेट सेवा निलंबित

Leave a Reply