राजस्थान के फलौदी जेल से 16 कैदी फरार, सभी दौड़ते हुऐ निकले और स्कॉर्पियो में बैठकर भाग गए

राजस्थान के फलौदी जेल से 16 कैदी फरार, सभी दौड़ते हुऐ निकले और स्कॉर्पियो में बैठकर भाग गए

प्रेषित समय :15:16:31 PM / Tue, Apr 6th, 2021

जोधपुर. सोमवार रात 8 बजे जोधपुर जिले की फलोदी जेल से 16 कैदी एक साथ भाग गए. इस घटना में सिक्योरिटी गार्ड्स की मिलीभगत का शक है. यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा फरारी कांड है, इससे पहले फरवरी 2010 में चित्तौडग़ढ़ जेल से 23 कैदी भागे थे. शुरुआती जांच के बाद जेल के जेलर और महिला गार्ड समेत 3 को सस्पेंड कर दिया.

जोधपुर जिले के फलोदी की जेल से सोमवार रात 16 कैदियों के फरार होने का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. इसमें साफ नजर आ रहा है कि जेल ब्रेक की साजिश में सब कुछ प्लान्ड था, क्योंकि जेल से भागते हुए सभी 16 कैदी पहले से बाहर खड़ी स्कॉर्पियो में आकर बैठे गए.

इस पूरी घटना में सुरक्षा गार्डों की भी मिलीभगत की आशंका है. इस घटना के के काफी देर बाद पुलिस-प्रशासन को सूचना दी गई. यही वजह है कि जोधपुर और उससे सटे कई जिलों में पुलिस नाकाबंदी और तलाशी के बाद भी एक भी कैदी का पता नहीं चल सका. जांच के दौरान प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने पर जेल के जेलर नवीबक्स, गार्ड सुनील कुमार, मदनपाल सिंह और मधु देवी को निलंबित कर दिया गया. जोधपुर रेंज के डीआईजी जेल सुरेन्द्र सिंह शेखावत को मामले की जांच सौंपी गई है.

बता दें कि सोमवार रात 8 बजे एक साथ 16 कैदी फरार हो गए थे. दिन में ये कैदी बैरकों के आगे खुली जगह में थे. शाम को इन्हें बैरक में डाला जा रहा था. इसी दौरान अंदर से बंदियों ने गेट का ताला खोल रहे कांस्टेबल, पास खड़े कार्यवाहक जेलर और एक सिपाही को धक्का दिया और बाहर भाग गए. इसके बाद वहां खड़े सिपाही की आंखों में मिर्ची और सब्जी का घोल फेंक दिया, फिर आगे तैनात महिला गार्ड को उठाकर दूसरी ओर फेंक कर फरार हो गए.

सभी कैदी तस्कर थे, इसलिए ग्रामीण रास्तों से वाकिफ

माना जा रहा है कि स्कॉर्पियो से भागने के बाद ये कैदी आगे से अलग-अलग वाहनों में बैठकर ग्रामीण इलाकों के कच्चे रास्तों से निकल गए. भागने वाले ज्यादातर कैदी तस्करी से जुड़े हैं और वे फलोदी इलाके के ही रहने वाले हैं. ऐसे में उन्हें इलाके की पूरी जानकारी है. तस्करी के दौरान भी वे ग्रामीण इलाके के कच्चे रास्तों का इस्तेमाल करते हैं.

अंदर का गेट खोला, बाहर के गेट में ताला नहीं था

जेल के दो गेट हैं. बंदियों को बैरकों में डालने और निकालने के वक्त दोनों में से एक पर ताला होना चाहिए, लेकिन सोमवार को घटना के वक्त बाहरी गेट पर ताला नहीं था. ऐसे में बंदियों के सामने न दीवार फांदने की नौबत आई और न ही कोई हथियार चलाने की. कचहरी परिसर में उप-कारागृह सिर्फ विचाराधीन बंदियों को रखने के लिए है. 40&60 फीट के एरिया में ही यह जेल बनी हुई. यहीं स्ष्ठरू कोर्ट है. इतनी छोटी सी जगह में तीन बैरक हैं. साथ ही जेल का ऑफिस और कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर हैं.

17 की क्षमता, बंदी 60 थे, स्टाफ 16 में से सिर्फ 4

जेल में बंदी क्षमता 17 की है, लेकिन जेल में हमेशा ही बंदी ज्यादा रहते हैं. सोमवार को जेल में 60 बंदी थे. जेलर सहित 16 का स्टाफ मंजूर है, लेकिन नियुक्ति 9 की ही है. 3 मार्च को जेलर के सस्पेंड होने से यह पद भी खाली है. वारदात के समय जेल में 4 कर्मचारी ही थे, जबकि 5 छुट्टी पर बताए गए हैं. जेल की सुरक्षा के लिए अलग से स्टाफ की व्यवस्था नहीं है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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