एटा नगर. अरुणाचल प्रदेश में एक जिला है अनजॉ। चीनी बॉर्डर के पास इस जिले में एक गांव पड़ता है जहां सिर्फ एक वोटर मौजूद है। उनका मतदान करवाने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को बीहड़ और दुर्गम रास्तों पर पूरा एक दिन पैदल चलना पड़ता है।
कोई भी चुनाव हो उसे सुचारू रूप से संपन्न करवाना, वोटर्स को किसी तरह की परेशानी न होने देना चुनाव आयोग के मुख्य कामों में शामिल है। इसके लिए आयोग को किन मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है इसका एक उदाहरण हम आपको बताते हैं। अरुणाचल प्रदेश में एक जिला है अनजॉ। चीनी बॉर्डर के पास इस जिले में एक गांव पड़ता है जहां सिर्फ एक वोटर मौजूद है। उनका मतदान करवाने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को बीहड़ और दुर्गम रास्तों पर पूरा एक दिन पैदल चलना पड़ता है।
यहां जिस वोटर की बात हो रही है उनका नाम सोकेला टयांग है। वह अनजॉ जिले के मालोगम गांव में अपने बच्चों और पति के साथ रहती हैं। यह इलाका हेलिलयांग विधानसभा में आता है। जानकारी के मुताबिक, मालोगम गांव में सोकेला के अलावा कुछ और परिवार भी रहते हैं। लेकिन 39 साल की सोकेला के अलावा बाकी सभी वोटर्स ने खुद को दूसरे पोलिंग स्टेशन्स पर रजिस्टर करवा लिया है। इसबारे में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि 2014 के चुनाव में वहां दो वोटर्स थे। लेकिन फिर सोकेला के पति जेनेलम तैयांग ने अपना नाम दूसरे बूथ पर रजिस्टर करवा लिया।
अधिकारी ने बताया कि जिस इलाके में सोकेला रहती हैं वहां गाड़ी आदि नहीं जा सकती इसलिए पैदल जाना पड़ता है। इस सफर को पूरा करने में पोलिंग पार्टी को पूरा एक दिन लग जाता है। इतना ही नहीं उन्हें पोलिंग स्टेशन को सुबह 7 से शाम 5 बजे तक खोलकर रखना पड़ता है। किसी को नहीं पता होता कि वह वोट डालने कब आएंगी। इसपर अधिकारी कहते हैं, ‘किसी को उनका वोट जल्दी डालने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।’
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में लगा 6 दिन का लॉकडाउन: सीएम केजरीवाल बोले बहुत ज्यादा बढ़ गई है संक्रमण की दर
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