विभिन्न पूजा पाठ एवं उनका प्रतिफल

विभिन्न पूजा पाठ एवं उनका प्रतिफल

प्रेषित समय :22:07:04 PM / Tue, Apr 27th, 2021

1: बटुक भैरव स्त्रोत्र : इस स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र से महामारी राजभय अग्निभय चोरभय उत्पात दुह्स्वप्न के भय में घोर बंधन में इस बटुक भैरव का पाठ अति लाभदाई है. तथा हर प्रकार की सिद्धी हो जाती है. इस प्रयोग का कम से कम १०८ पाठ करना चाहिए.

2: श्री सूक्त प्रयोग : श्री सूक्त प्रयोग एक ऐसा प्रयोग है जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थिर रूप से निवास करती है. इसके ११०० आवृति [ पाठ ] कराने पर विशेष लाभ होता है.

3: श्री कनकधारा स्तोत्र : यह स्तोत्र आद्य शंकराचार्य जी द्वारा रचित है जिसके पाठ से स्वर्ण वर्षा हुई थी. कनकधारा स्तोत्र के पाठ करवाने से घर ऑफिस व्यापार स्थल में उतरोत्तर वृद्धि होती रहती है कनकधारा में कमला प्रयोग से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है.

4: श्री मद भागवत गीता : यह महाभारत के भीष्म पर्व से लिया गया है. इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मज्ञान दिया तथा कर्म में लगे रहने के विषय में बतलाया है. इस के पाठ करवाने से घर में शांति सुख व् समृद्धि आती है , तथा सभी दोष पाठ मात्र से नष्ट होते है यह अत्यंत लाभकारी है.

5: श्री अखंड रामचरित मानस पाठ : यह तुलसीदास द्वारा रचित है. इस मानसमें सात कांड जिसका पारायण [पाठ] अनवरत है. इसलिए इसे अखंड पाठ कहते है. यह २० से २५ घंटे में पूर्ण होता है. मानस पाठ से घर मे काफी शांती तथा यश व कीर्ती बढती हे तथा मनुष्य सही नीती से चलता है.

6 : सुंदर कांड पाठ : सुंदर कांड पाठ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस से लिया गया है इस पाठ से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है विशेषतः शनी के प्रकोप को शांत करणे के लिये सुंदरकांड का पाठ लाभदायक होता है , वैसे कम से कम १०८ पाठ ब्राह्मण के द्वारा करवाया जाता है|

7 : हनुमान चालीसा : हनुमान चालीसा कलियुग मे मनुष्य के जीवन का आधार है इसका पाठ प्रायः प्रतिदिन किया जाता है. परंतु विशेष रूप से ४१ दिन मे प्रतिदिन १०० पाठ कराने से कोई भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए किये गया सभी अनुष्ठान पूर्ण होता है.

8 : बजरंग बाण : बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य स्वयं सुरक्षित रहता है. बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य सुरक्षित राहता है इसका कम से कम ५२ पाठ करके हवन करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है.

9: हरि किर्तन [ हरे राम हरे कृष्ण ] : प्रभू कि कृपा प्राप्ती तथा घर मे आनंद एवं सुख के लिये तथा सन्मार्ग प्राप्ती के लिये हरि किर्तन करवाया जाता है.

10: श्री सुंदर कांड [ वाल्मिकी रामायण ] : वाल्मिकी रामायण के सुंदर कांड का पाठ करने से संतान बाधा दूर होती है तथा इसके प्रयोग से सारी कठिनाइय समाप्त हो जाती है. वाल्मिकी द्वारा रचित सुंदर कांड एक याज्ञिक प्रयोग है. इस पाठ का १०८ पाठ विशेषतः हवनात्मक रूप से लाभ दायक है.

11: श्री ललिता सहस्त्र नामावली : ललिता सहस्त्र नाम अर्थात दुर्गा माताकि प्रतिमूर्ती है. इस सहस्त्र नाम के पाठ से अर्चन व अभिषेक तथा हवन करने से विशेषतः रोग बाधा दूर होता है.

12 : श्री शिव सहस्त्र नामावली : शिव सहस्त्र नामावली के कई प्रयोग है. इस प्रयोग से कई लाभ मिळते है. सहस्त्र नामावली के द्वारा अर्चन व अभिषेक तथा हवन प्रयोग से अपारशांती मिळती है.

13 : श्री हनुमत सहस्त्र नामावली : श्री हनुमत सहस्त्र नामावली के प्रयोग से विशेषतः शनी शांती होती है.

14 : श्री शनी सहस्त्र नामावली : शनी के प्रकोप या शनी कि साढे साती या अढ्या चाल रही हो तो शनी सहस्त्रनाम का प्रयोग किया जाता है.

15 : श्री कात्यायनी देवी जप : जिस किसी भी कन्या के विवाह मे बाधा आ रही हो या विलंब हो रहा हो तो कात्यायनी देवी का ४१००० मंत्र का जप केले के पत्ते पर ब्राह्मण पान खाकर जप करता है , तो उस कन्या के विवाह मे आने वाली सभी बाधाये दूर हो जाती है. यह अनुष्ठान २१ दिन मे पूर्ण हो जाता है. यह प्रयोग अनुभव सिद्ध है.

16 : श्री गोपाल सहस्त्र नाम : जब किसी भी दंपती को पुत्र या संतान कि प्राप्ती न हो रही हो तो ,वह सदाचार तथा धार्मिक पुत्र कि प्राप्ती के लिये गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करावे. गोपाल मंत्र का सवा लाख जप पुत्र प्राप्ती मे अत्यंत लाभदायक है. यह प्रयोग अनुभूत है.

17 : श्री हरिवंश पुराण : श्री हरिवंश पुराण कथा का श्रवण अत्यंत प्रभावी होता है. जिस किसी भी परिवार मे संतान न उत्पन्न हो रहा हो तो इस पुराण के पारायण [ पाठ ] से घर मे संतान उत्पत्ती होती है. यह अनुभूत है तथा , यह ७ दिन का कार्यक्रम होता है.

18 : श्री शिव पुराण : श्री शिव पुराण मे शिव जी के महिमा का हि विशेष वर्णन है तथा उनके सभी अवतरो का वर्णन किया गया है. यह श्रावण मास या पुरुषोत्तम मास मे विशेष रूप से पाठ बैठाया जाता है.

19 : श्री देवी भागवत : श्री देवी भागवत मे भी 18000 श्लोक है तथा यह माता जी के प्रसन्नता के लिये किया जाता है ,यह प्रयोग नवरात्र या विशेष पर्व पर किया जाता है|

20 : श्री गणपती पूजन एवं अभिषेक : किसी भी शुभ अवसर पर यह पूजन किया जा सकता है. इससे सभी बाधाये दूर हो जाती है तथा कार्य मे उत्तरोत्तर वृद्धि होती है.

21 : भूमी पूजन ,आफिस एवं दुकान उदघाटन : भूमि पूजन एवं दुकान उदघाटन उस भूमि पर कार्य शुरू करने के पूर्व वहा का भूमि पूजन सम्पन्न किया जाता है. जिससे वहा किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो और कार्य आसानी से सम्पन्न हो जाय|

आफिस एवं दुकान उदघाटन : के समय उस स्थान पर प्रथम पूजनीय श्री गणेश ,वरुण देव ,नवग्रह पूजन किया जाता है. जिससे व्यवसाय में उतरोत्तर वृद्धि होती रहे. तथा लक्ष्मी जी का आगमन बना रहे. विशेष रूप से कृपा प्राप्ति के लिए कनकधारा या श्री सूक्त का ब्राह्मणों से पाठ करवाने से लाभ प्राप्त होते है.

२१ : श्री नवग्रह शांति पाठ:

१ : सूर्य : सूर्य की शांति के लिए सूर्य के 6000 मन्त्र संख्या का जप करना अनिवार्य है. साथ में गेहू या गुण दान करे लाल चन्दन लगाये तथा सूर्य को अर्घ्य दें. माणिक्य सोना या तम्बा में धारण करे लाभ प्राप्त होगा.

२ : चन्द्र शांति : चन्द्र ग्रह बहुत ही निर्मल है इसकी शांति के लिए 10000 मन्त्र जप करवाने से चन्द्र शांति होती है.

३ : मंगल शांति : मंगल शांति के लिए मंगल के 7000 मन्त्र का जप कराया जाता हैं

४ : बुध शांति : बुध के 17000 मंत्रो के जप कराने से तथा दान करने से बुध ग्रह शांत होता है.

५ : गुरु शांति : गुरु की जप संख्या 16000 का जप करवाने से तथा पीले वस्त्रो का दान देने से गुरु की शांति होती है.

६ : शुक्र शांति : शुक्र की जप संख्या 20000 का जप ब्रह्मण द्वारा कराए तथा सफेद वस्तुओ का दान करे शुक्र प्रसन्न होगे.

७ : शनि शांति : 19000शनि मंत्रो का जप कराए तथा काले वस्त्रो का दान करे तो शनि शीघ्र लाभकारी होगा.

८ : राहू शांति : राहू की शांति के लिए 18000 जप ब्राह्मण द्वरा कराए तथा यथोचित दान करे आप को लाभ प्राप्त होगा.

९ : केतु शांति : केतु शांति के लिए 7000 मंत्रो का जप कराए , और उचित दान देने पर विशेष लाभ प्राप्त होगा

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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