जबलपुर. कोरोना के बढ़ते मामलों ने पश्चिम मध्य रेलवे की हालत पस्त कर दी है. पमरे के तीनों रेल मंडलों के 500 से ज्यादा लोको पायलट, सहायक लोको पायलट व गार्ड कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इतनी अधिक तादाद में सीधे रेल संचालन से जुड़े स्टाफ के बीमार होने से रेल संचालन व्यवस्था पर व्यापक असर पडऩे की संभावना जताई जा रही है. इस व्यवस्था से निपटने के लिए मंडलों ने मुख्यालय से कई गाडिय़ों को रद्द करने का प्रस्ताव भेजा है.
इस संबंध में डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि रेल कर्मचारी कोरोना वारियर्स की भूमिका में हैं, वे अपनी जान की चिंता किये बगैर 24 घंटे नौकरी करने में लगे हुए हैं, ताकि देश में इस महामारी के मुश्किल वक्त में जरूरी सामग्री और सांसें चलती रहेें, लगातार आक्सीजन एक्सप्रेस, जरूरी सामग्रियों को इधर से उधर पहुंचाने में रेल योद्धा डटे हुए हैं, लेकिन इस बीमारी ने उन्हें भी पस्त करना शुरू कर दिया है. पमरे के कोटा में 150 से अधिक रनिंग स्टाफ कोरोना संक्रमित हैं और वे उपचाररत हैं, वहीं 20 रनिंग स्टाफ की इस बीमारी से मौत भी हो चुकी है. इसी तरह जबलपुर व भोपाल मंडल में भी 350 से ज्यादा रनिंग स्टाफ कोरोना पाजीटिव हैं, और 50 के करीब स्टाफ की मौत हुई है. श्री गालव ने बताया कि रेल कर्मचारियों को कोरोना के समय में हो रही परेशानियों व उपचार में कमी पर कोटा डीआरएम आफिस परिसर में धरना प्रदर्शन किया, जिसके बाद डीआरएम ने यूनियन की सभी मांगों को मंजूर कर बेहतर उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया.
यू लिंक की मांग
उन्होंने बताया कि लगातार रनिंग स्टाफ के संक्रमित होने पर यूनियन ने पमरे के महाप्रबंधक को यू लिंक लागू करने की मांग की थी और कहा था कि जहां यू लिंक संभव नहीं हो स्टाफ को स्पेयर बुलाया जाए. यूनियन की मांग पर प्रशासन ने यू लिंक की मांग मान ली है. रनिंग स्टाफ में कोरोना फैलने का कारण रनिंग रूम हैं, जहां पर एक ही कमरे में कई बेड लगे हैं और उसी बिस्तर का लगातार उपयोग भी इस बीमारी को बढ़ाने में सहायक रहा है.
कोरोना से मौत पर तत्काल दें एक्सग्रेसिया, व सुविधाएं
यूनियन महामंत्री श्री गालव ने बताया कि उन्होंने पमरे के महाप्रबंधक से लेकर तमाम विभाग प्रमुखों से मांग की है कि इस आपातकालीन परिस्थितियों में कोरोना नियमों का पालन करते हुए अन्य आफिस, डिपो में भी 50 फीसदी स्टाफ को रोटेशन के आधार पर काम कराने बुलाया जाए. आफिस के अंदर 50 फीसदी उपस्थिति तो सभी कार्यालय में संभव है, लेकिन कुछ विभाग ट्रेकमैन के संबंध में निर्देश दिये हैं, लेकिन सिर्फ मौखिक हैं, पूरी तरह से लागू नहीं हो रहा. हर विभाग में पाजीटिव हो रहे. अन्य सबआर्डिनेट आफिस में भी पालन कराएं. साथ ही यह मांग की गई है कि कोरोना से रेल कर्मचारी की मौत होने पर एक्सग्रेसिया व अन्य भुगतान 7 दिन के अंदर दे दिया जाए, 1 माह के अंदर अनुकंपा नौकरी दी जाए. व जो कर्मचारी कोविड से पीडि़त हैं या उनके परिवारजन आये हैं, आइसोलेसन में हैं, उन्हें स्पेशल केजुएल लीव मिलेगी. जिस पर कोटा डीआरएम ने अपनी सहमति जताते हुए इसके पालन के आदेश दे दिये हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में अब कृषि उपज मंडी रात दो से सुबह 6 बजे तक ही खुलेगी
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