आज हम विज्ञान के चकाचौंध में अपनी प्राचीन सटीक पद्धतियों को भूलते जा रहे हैं जिसके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति दिनों दिन कम होती जा रही है.आधुनिकता ने हमे रोग और दुख ही दे रहा है.इसका कारण हमें अपना प्राचीन पद्धतियों को न मानना है.
पहले जमाने मे ज्ञान प्रायः उच्च कोटि के विद्वान या जंगल मे रहने वाले संत दिया करते थे.संतो में दिव्य दृष्टि होती थी जो उन्हें कठोर तपस्या से प्राप्त होती थी.योग मार्ग पर जाने के लिए कुछ जरूरी सोपान है.जिस तरह से योग आज दूरदर्शन पर स्वामी राम देव जैसे योग के जानकार बताते है वैसा नही है.योग मार्ग में प्रवेश के सोपानों में यम नियम इत्यादि का समावेश है.बिना यम नियम किये आसन और प्राणायाम से कुछ भी प्राप्ति नही हो सकती.योग का मतलब है आत्मा और परमात्मा का मिलन.योग मार्ग से चलने पर आत्मा परमात्मा के एकीकरण में सुगमता होती है.लेकिन ये लोग जो योग को एक व्यवसाय बना लिए है ,यम नियम इत्यादि के बारे में नहीं बताते और यह भी नहीं बताते कि इस मार्ग पर चल कर ईश्वर प्राप्ति कैसे होती है.इसका कारण एक ही है.इन्हें खुद से नही पता.इनको तो आसन प्राणायाम को सिर्फ व्यवसाय ही बनाना था.बना लिया और अब यही विधा इन्हें अपार धन भी दे रहा है.
फिलहाल मेरा उद्देश्य यह नही है कि मैं इन लोगो की आलोचना करूँ.यद्द्यपि ये बाते हर पढ़े लिखे व्यक्तियों के दिमाग मे है और उन्हें कोई जवाब नही मिल रहा है
मेरा उद्देश्य आज एक प्राचीन प्रयोग बताने का है जिसका प्रयोग हमारे पूर्वज करते थे.आज भी कुछ लोग कर रहे हैं.
वह प्रयोग निम्न है-
कई बार लोग बीमार हो जाते हैं, वे बेचारे अपने आप में बहुत बेचैन और खिन्न हो जाते हैं, हम तो बीमार ही रहते हैं तबियत ठीक ही नही रहती दवाइयाँ लेनी पड़ती हैं. नहीं एक काम करें नारद पुराण में लिखा है कि सुबह उठें तो पानी में देखते हुए २५ बार एक मन्त्र बोला है वो मन्त्र बोलकर पानी में देखते-देखते वो पानी फिर अपने गुरुदेव का स्मरण करके पी जाओ . पानी तो पीते ही हैं लगभग सुबह, चाय नही पीनी चाहिए . खाली पेट सुबह पानी प्रयोग करना चाहिए . तांबे के लोटे में रखा हुआ पानी और तांबे का लोटा भी मांज लेना चाहिए
नारद पुराण में सनकादि ऋषि कहते हैं सुबह पानी में देखते हुए"ॐ नमो नारायणाय...ॐ नमो नारायणाय..ॐ नमो नारायणाय..ॐ नमो नारायणाय.." 25 बार बोलें और हो सके तो इशान कोण की तरफ मुंह करके बोलें पूर्व और उत्तर के बीच जो इशान कोण पड़ता है उधर मुंह करके 25 बार बोलें और फिर वो पानी पी जाएं . इससे आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है, पाप नाश होते है और भी बहुत फायदे होते है .पर भक्त की नजर फायदे पर नहीं होती उसकी नजर तो भगवान पर गुरु पर होती है.
-प्राचीन शाबर मन्त्र Prachin shabar mant
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा ने लकी चार्म्स की वर्षा की
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