वैशाख अमावस्या पर क्या करें ?

वैशाख अमावस्या पर क्या करें ?

प्रेषित समय :21:44:20 PM / Wed, May 5th, 2021

वैशाख या बैशाख माह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का दूसरा माह होता है. इस महीने गंगा उपासना, वरुथिनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, वैशाख पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आदि मनाए जाते हैं. इस माह की भी पुराणों में महिमा का वर्णन है. आओ जानते हैं कि ऐसे कौन से 4 कार्य है जो कि वैशाख माह में करने से सुख मिलता है.

महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था. इसी वजह से इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाता है. इस माह को माधव नाम से भी जाना जाता है. माधव विष्णु का एक नाम है. इस माह में विष्णु भगवान की पूजा का खासा महत्व है.

1. वैशाख अमावस्या पर क्या करें : 

1. धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिए अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है. काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए.

2. इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें.

3. दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है. वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए.

2. पूरे माह विष्णु पूजा करें :

वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. इस दौरान भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से माधव रूप की पूजा की जाती है. स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड अनुसार..

न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्.

न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्..

अर्थात्: माधवमास, यानि वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है. इस माह के दौरान आपको- 'ॐ माधवाय नमः' - मंत्र का नित्य ही कम से कम 11 बार जप करना चाहिए. साथ ही भगवान विष्णु के केशव, हरि, गोविंद, त्रिविकरम, पद्मानाभ, मधुसूदन, अच्युत और हृषिकेष नाम का भी ध्यान करें. उन्होंने पंचामृत का भोग लगाएं और उस पंचामृत में तुलसी पत्र डालना न भूलें. साथ ही उन्हें सफेद या पीले फूल अर्पित करने चाहिए.

इससे आपके करियर में, नौकरी में, व्यापार में तरक्की होगी. इससे जीवन में कभी कोई संकट नहीं आएगा और दांपत्य जीवन भी सुखमयी व्यतीत होगा.

3. वैशाख माह में भूमि पर ही शयन करना चाहिए और एक समय ही भोजन करान चाहिए. इससे सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं. वैशाख माह में नया तेल लगाना मना है. इस माह में तेल व तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए. बेल खा सकते हैं.

4. वैशाख कथा का श्रवण करें और गीता का पाठ करें.

पौराणिक कथा : प्राचीन समय में धर्मवर्ण नाम के एक द्वीज हुआ करते थे. वे बहुत ही धर्मपरायण थे. एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है. धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगे. एक दिन भ्रमण करते हुए वह पितृलोक पहुंचें. 

वहां धर्मवर्ण ने देखा की उनके पितर बहुत कष्ट में हैं. पितरों ने उन्हें बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है. क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है. यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है. साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो. धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी इच्छाओं की पूर्ति अवश्य पूर्ण करेगा. इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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