घर के प्रेत या पितर रुष्ट हैं तो ये हैं लक्षण और उपाय

घर के प्रेत या पितर रुष्ट हैं तो ये हैं लक्षण और उपाय

प्रेषित समय :17:55:59 PM / Fri, May 7th, 2021

वैदिक ज्‍योतिष के नियमों के हिसाब से यदि देखा जाए तो आप पाएंगे कि लगभग सभी व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष पाया जाता है. परन्‍तु सब को समस्‍याएं नहीं आती केवल कुछ लोग महसूस करते है कि जैसा उन के साथ हो रहा है, वैसा सब लोगों के साथ नहीं होता. पितृदोष के संबंध में मैं अपने अनुभव के आधार पर इस लेख के माध्‍यम से कुछ आपको बताने जा रहा हूँ यदि आपको ये लक्षण दिखाई दें तो समझ जाएं कि आपके पितृ भी आपसे रूष्‍ट हैं.

सबसे पहले तो मैं आपको स्‍पष्‍ट करना चाहता हूँ कि पहले जान लें कि पितृ कौन है और उनकी नाराजगी का कारण क्‍या है. पितृों की श्रेणी में आपके सभी पूर्वज आते है लेकिन दोषकारक पितृों की श्रेणी में आपके ऐसे पितृ होते है जो इस लोक से परलोक में अतृप्‍त जाता है. कभी-कभी ऐसा होता है कि परिवार के किसी एक सदस्य के साथ भेदभाव किया जाता है, संपत्ति का बंटवारा भेदभाव से किया जाता है. वो इसी भेदभाव को अपने दिल में लिए, याद करता हुआ परलोक में जाता है, परिणाम यह होता है कि ऐसी जायदाद के कारण पीढियों तक झगडे चलते रहते है, उस जायदाद के कारण किसी को भी संतुष्‍टि, खुशी प्राप्‍त नहीं होती.

जब परिवार के किसी सदस्‍य की स्वाभाविक मृत्यु न हो या परिवार का कोई सदस्‍य कुंवारा रहते हुए ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है. इस प्रकार के व्‍यक्‍ति अतृप्त आत्मा के रूप में विचरते है और परिवार से अपने लिए हक की मांग करते हैं. इस प्रकार की आत्‍मा के असर के कारण अनुभव के आधार पर मैंने देखा है कि घर में बालक जन्म लेने के कुछ समय पश्चात मृत्यु को प्राप्त हो जातें है.

परिवार में खुशी के अवसर वह अतृप्त आत्मा कुछ उम्मीद करती है कि उसे भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सम्‍मानित किया जाए, खुशी में शामिल किया जाए. शायद इसीलिए दीपावाली त्‍यौहार के दिन पितरों के लिए सुबह के समय अन्य जल, कपड़ा आदि निकाल कर रखा जाता है, पूजा की जाती है. विवाह, शादी के अवसर पर पितृों के लिए वर पक्ष के लोग वधू पक्ष से कुछ वस्तुओं (जैसेकि सफेद कपडा इत्‍यादि) की मांग करते हैं और जहां पर यह रीति रिवाज होते है वहां पर दिक्कत नहीं होती है, जहां ऐसे रिवाजों को नहीं माना जाता, परेशानी वही होती देखी गई है.

पितृों के रूष्‍ट होने के लक्षण:-

पितरों के रुष्ट होने के कुछ असामान्‍य लक्षण जो मैंने अपने निजी अनुभव के आधार एकत्रित किए है वे आपको बताता हूँ-

खाने में से बाल निकलना:-

अक्सर खाना खाते समय यदि आपके भोजन में से बाल निकलता है तो इसे नजरअंदाज न करें

बहुत बार परिवार के किसी एक ही सदस्य के साथ होता है कि उसके खाने में से बाल निकलता है, यह बाल कहां से आया इसका कुछ पता नहीं चलता. यहां तक कि वह व्यक्ति यदि रेस्टोरेंट आदि में भी जाए तो वहां पर भी उसके ही खाने में से बाल निकलता है और परिवार के लोग उसे ही दोषी मानते हुए उसका मजाक तक उडाते है.

बदबू या दुर्गंध:-

कुछ लोगों की समस्या रहती है कि उनके घर से दुर्गंध आती है, यह भी नहीं पता चलता कि दुर्गंध कहां से आ रही है. कई बार इस दुर्गंध के इतने अभ्‍यस्‍त हो जाते है कि उन्हें यह दुर्गंध महसूस भी नहीं होती लेकिन बाहर के लोग उन्हें बताते हैं कि ऐसा हो रहा है अब जबकि परेशानी का स्रोत पता ना चले तो उसका इलाज कैसे संभव है

पूर्वजों का स्वप्न में बार बार आना:-

मेरे एक मित्र ने बताया कि उनका अपने पिता के साथ झगड़ा हो गया है और वह झगड़ा काफी सालों तक चला पिता ने मरते समय अपने पुत्र से मिलने की इच्छा जाहिर की परंतु पुत्र मिलने नहीं आया, पिता का स्वर्गवास हो गया हुआ. कुछ समय पश्चात मेरे मित्र मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को बिना कपड़ों के देखा है ऐसा स्‍वप्‍न पहले भी कई बार आ चुका है.

शुभ कार्य में अड़चन:-

कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे हैं या कोई उत्सव आपके घर पर हो रहा है ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिससे रंग में भंग डल जाता है. ऐसी घटना घटित होती है कि खुशी का माहौल बदल जाता है. मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है.

घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना:-

बहुत बार आपने अपने आसपास या फिर रिश्‍तेदारी में देखा होगा या अनुभव किया होगा कि बहुत अच्‍छा युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी शादी नहीं हो रही है. एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्‍छा संकेत नहीं है. यदि घर में पहले ही किसी कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है तो उपरोक्त स्थिति बनने के आसार बढ़ जाते हैं. इस समस्‍या के कारण का भी पता नहीं चलता.

मकान या प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में दिक्कत आना:-

आपने देखा होगा कि कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती. यदि कोई खरीदार मिल भी जाता है और सब कुछ हो जाता है तो अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है. इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे अवश्य ही कोई ऐसी कोई अतृप्‍त आत्‍मा है जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई संबंध रहा हो.

संतान ना होना:-

मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य होने के बावजूद संतान सुख से वंचित है हालांकि आपके पूर्वजों का इस से संबंध होना लाजमी नहीं है परंतु ऐसा होना बहुत हद तक संभव है जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना देती है.

उपरोक्त सभी प्रकार की घटनाएं या समस्याएं आप में से बहुत से लोगों ने अनुभव की होंगी इसके निवारण के लिए लोग समय और पैसा नष्ट कर देते हैं परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाता. क्या पता हमारे इस लेख से ऐसे ही किसी पीड़ित व्यक्ति को कुछ प्रेरणा मिले इसलिए निवारण भी स्पष्ट कर रहा हूं

पितर या घर के प्रेत को शांत करने का उपाय:-

त्रयोदशी के दिन किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाएं और मिट्टी के कुल्हड़ में दूध भर लें उस पर कुछ मीठा रख दें अर्थात ढक्कन लगाकर उस पर कुछ मीठा शक्कर गुड़ आदि रख दें एक दीपक जलाएं और संकल्प लें, प्रार्थना करें कि हे अदृश्य आत्मा, हे अदृश्य शक्ति यदि हमसे कुछ भूल हुई है तो हम उसका प्रायश्चित करते हैं और संकल्प लेते हैं कि जब कभी हमारा कार्य सिद्ध होगा, घर में खुशियां आएगी तब आपको आप का हिस्सा सम्मानपूर्वक हमारी ओर से दिया जाएगा.

यह संकल्प आप अपनी भाषा में किसी भी तरह से कर लें और उस स्थान से वापस जाकर अपने कुल पुरोहित को भोजन, वस्त्, दक्षिणा से संतुष्ट करें. आपको शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम मिलने लगेंगे. आप देखेंगे कि शीघ्र ही आपके कार्य बनने लगे हैं, ऐसा मेरा अनुभव है.

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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