नई दिल्ली. भारतीय चिकित्सा संघ, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शनिवार को जारी एक बयान में कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए सही कदम ना उठाने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का समर्थन किया है.
आईएमए ने एक बयान जारी कर कहा, आईएमए कोविड-19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर से पैदा हुए संकट से निपटने में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बेहद सुस्त और अनुपयुक्त तरीक़ों को देखकर हैरान है. सामूहिक चेतना, आईएमए व अन्य पेशेवर सहयोगियों द्वारा किए गए अनुरोधों को कूड़ेदान में डाल दिया जाता है, और अक्सर ज़मीनी हकीकत को समझे बिना निर्णय लिए जाते हैं.
आईएमए का कहना है कि देश में लॉकडाउन लगा कर संक्रमण की चेन तोड़ी जा सकेगी. बयान में कहा गया है कि आईएमए कुछ राज्यों में 10 या 15 दिनों के लॉकडाउन की बजाय योजनाबद्ध और पूर्वघोषित संपूर्ण लॉकडाउन के लिए ज़ोर देता रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को संभालने का वक़्त सरकार को मिल सकेगा.
केंद्र सरकार निभाए जि़म्मेदारी
आईएम के अध्यक्ष डॉक्टर जेए जयालाल ने बीबीसी संवाददाता कमलेश मठेनी को बताया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की ज़रूरत क्यों है और स्थिति से निपटने के लिए राज्यों का लॉकडाउन क्यों नाकाफ़ी है. डॉक्टर जयालाल ने कहा, लॉकडाउन से संक्रमण की चेन टूटेगी और इससे अस्पताल में आने वाले मरीज़ों की संख्या कम होगी. इस बीच स्वास्थ्य व्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा. लेकिन, अलग-अलग जगह पर छोटे-छोटे कफऱ््यू से कोई फायदा नहीं होने वाला है.
राज्यों में लॉकडाउन है लेकिन लोगों का मूवमेंट अब भी जारी है. अधिकतर सर्विसेज़ चल रही हैं. कर्नाटक में लॉकडाउन है लेकिन आंध्र प्रदेश में नहीं है. लोग एक राज्य से दूसरे राज्य आ-जा रहे हैं. लोग ज़रूरत का सामान खरीदने के लिए सीमा पार कर रहे हैं. इससे संक्रमण फैलने का ख़तरा है. लेकिन, देश में लॉकडाउन लगा तो ऐसा नहीं हो सकेगा. भले ही आप तुरंत ऐसा ना करें. इसके लिए दो या तीन दिन का समय दें.
डॉक्टर जयालाल कहते हैं, राज्यों ने लॉकडाउन किया है. ऐसे में केंद्र सरकार को सामने आकर अपनी जि़म्मेदारी निभानी चाहिए. उन्हें छिपना नहीं चाहिए. आईएमए का कहना है कि उन्होंने सरकार को लॉकडाउन का सुझाव दिया था जिसे खारिज कर दिया गया. संघ ने कहा इस सुझाव को खारिज करने का ही नतीजा है कि अब रोज़ संक्रमण के चार लाख से ज़्यादा मामले आ रहे हैं और मॉडरेट से लेकर गंभीर मामले 40 फीसदी तक बढ़ गए हैं. छिटपुट नाइट कर्फ्यू से कुछ भला नहीं होने वाला है. अर्थव्यवस्था ज़रूरी है लेकिन जीवन अर्थव्यवस्था से ज़्यादा क़ीमती है.
आईएमए ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. बयान में कहा गया है कि ऑक्सीजन का संकट हर दिन गहराता जा रहा है और लोग इसके कारण दम तोड़ रहे हैं. इससे मरीज़ों और स्वास्थ्यकर्मियों दोनों के बीच डर पैदा हो रहा है.
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