तेहरान. अमेरिका से तनावपूर्ण संबंधों के बीच ईरान के भारत के साथ रिश्तों में भी खटास आ रही है. ईरान ने भारत को फरजाद बी गैस परियोजना से बाहर कर अरबों डॉलर का झटका दिया है. भारत की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने इसकी खोज की थी. अब ईरान का कहना है कि वो इस पर अपने आप काम करेगा. इससे पहले ईरान ने भारत के चाबहार रेलवे लिंक प्रोजेक्ट के लिए 2 अरब डॉलर के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था.
इस बीच ईरान और चीन के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं. हाल ही में दोनों देशों के बीच 25 साल के लिए 400 अरब डॉलर का समझौता हुआ है. ईरान पैसों की कमी का सामना कर रहा है, जिसका बड़ा कारण है अमेरिका द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंध जो कि मई 2018 में परमाणु डील से हटने के बाद लागू किए गए थे. हालांकि चीन से हुई इस डील के बाद ईरान खुद को एक अमीर देश मान रहा है. चीन की ओर से तेल का आयात बढ़ने के चलते भी ईरान के पास जमकर पैसा आ रहा है. यही कारण है कि उसने गैस प्रोजेक्ट को खुद ही विकसित करने की घोषणा की है.
चीन और ईरान ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को आने वाले 600 अरब डॉलर तक लेकर जाने का टारगेट रखा है. दोनों के बीच हुई डील के मुताबिक चीन आने वाले 25 साल तक ईरान से सस्ते दाम पर तेल की खरीद करेगा और बदले में बंदरगाह, रेलवे, ट्रांसपोर्ट आदि क्षेत्रों में निवेश करेगा. मीडिया रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि चीन ईरान में 5जी सेवा शुरू करने में भी सहयोग करेगा.
चीन और ईरान के बीच हुई डील में कई सैन्य सहयोग को भी शामिल किया गया है. खबरों की मानें तो 5 हजार चीनी सैनिक भी ईरान में तैनात किए जा सकते हैं. दोनों के बीच संबंध इतने गहरे हो चुके हैं कि चीन अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को ईरान तक बढ़ाना चाहता है. अगर चीन अपने इरादों में कामयाब हो जाता है तो भारत और अमेरिका के लिए इससे खतरा पैदा हो सकता है.
ये डील भारत के हितों को भी नुकसान पहुंचाती है. हालांकि भारत और ईरान के बीच किसी तरह का तनाव नहीं है. भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारी रकम निवेश की थी लेकिन ईरान के हालिया फैसलों से दोनों मुल्कों के संबंधों में दरार आ सकती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-चीन ने अमेरिका को धमकाया, कहा- युद्ध हुआ मिलेगी करारी शिकस्त
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