नई दिल्ली. भारत में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के बढ़ते मामलों ने देश की चिंताएं बढ़ाई हैं. इस बीच भारत को लेकर एक रिपोर्ट आई है, जिसमें भारत को लेकर एक सकारात्मक बात सामने आई है.
सऊदी अरब में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की भयंकर त्रासदी के बावजूद भारत अभी भी दुनिया की सबसे उभरती हुई शक्ति बना हुआ है. सऊदी दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि के कारण हुए नुकसान के बावजूद भारत इस ग्रह पर सबसे बड़ी और बढ़ती शक्ति बना हुआ है और इसमें कई मूलभूत ताकतें हैं जो इसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक बना देंगी.
भारत की महामारी से निपटने के आलोचकों को फटकार लगाते हुए अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ जॉन सी हल्समैन ने कहा है कि भारत की राजनीतिक शक्ति संरचना स्थिर है और नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों राजनीतिक रूप से इस तरह सुरक्षित हैं कि अन्य विकासशील देश केवल भारत से ईर्ष्या कर सकते हैं. वायरस के मामलों में अधिक वृद्धि के कारण भारत ने अपने स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव महसूस किया है और इसको लेकर बाद में पश्चिमी मीडिया के कुछ वगोज़्ं से भारत को फटकार लगाई गई है.
अपनी रिपोर्ट में हल्समैन ने तर्क दिया है कि विश्लेषणात्मक खतरा आज की भारत की दुखद समस्याओं को देखना है लेकिन सतह के नीचे मौजूद स्थायी परिवर्तनों पर नहीं जो इसे दुनिया में सबसे बड़ी बढ़ती शक्ति बनाते रहेंगे.
कोविड-19 महामारी, दो महीने के लंबे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और 2020 में एक बड़े सकल घरेलू उत्पाद के संकुचन के बावजूद भारत में विदेशी पूंजी का प्रवाह आश्चर्यजनक रूप से लचीला रहा. कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए आईएमएफ के भुगतान संतुलन के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह में लगभग 80 बिलियन डॉलर प्राप्त किए, जो चीन से पीछे है लेकिन रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से अधिक है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कोरोना महामारी: जो जीवन गया, वह तो गया? कहां लौट के आयेगा?
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