इस भयावह स्थिति के लिए लोग सरकार से कहीं ज्यादा नरेन्द्र मोदी को दोषी मान रहे है!

इस भयावह स्थिति के लिए लोग सरकार से कहीं ज्यादा नरेन्द्र मोदी को दोषी मान रहे है!

प्रेषित समय :22:30:15 PM / Wed, May 26th, 2021

संजय रोकड़े. देश में कोरोना काल में जो तबाही मची है उसके चलते आरएसएस व राजनीतिक सत्ता संभालने वाली उसकी बेटी के रूप में पहचानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी को अब यह समझने का समय आ गया है कि लोगों का ध्रुवीकरण करके सत्ता हथियाना एक बात है और सत्तारूढ़ होने पर देश को चलाना दूसरी.

लेकिन दुर्भाग्य है कि महामारी के इस भयानक दौर में भी आरएसएस व भाजपा ने अपनी नीति और नीयत में बदलाव नहीं किया है. वे आज भी लोगों को धर्म की अफीम देकर नशे में चूर रखना चाहते है. जो लोग नशे के आदी नही हैं, उनके बीच हिंदू-मुस्लिम का जहर घोल कर उन्हें मार देना चाहते हैं.

मतलब साफ है कि यह अब भी समझने को तैयार नही है. सत्ता हासिल करने के बाद भी संगठन की खोखली बातों पर ही अमल कर रहे है जबकि भाजपा अब सत्ता में है. संगठन और सत्ता में जमीन आसमान का अंदर है. संगठन की रीति नीति और उसकी कार्यप्रणाली सत्ता को हासिल करने की होती है और सत्ता का काम लोगों के दुख -दर्द को समझ कर उससे निजात दिलाने का होता है.

पर सच तो यही है कि भाजपा में जो लोग सत्ता का मजा चख रहे है, वे जनता को सुख देने के बजाय तकलीफ में डालने का काम कर रहे है. इस बात की तस्दीक करने के लिए हमें वजीरे आजम नरेंद्र मोदी के कुछ फैसलों की तरफ नजरें इनायत करना चाहिए. मोदी सरकार व भाजपा की यह वे चंद नीतियां है जो महामारी से ध्यान हटवाकर उसे हिंदू- मुस्लिम का जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है. मोदी सरकार के हाल के फैसले भी इस बात को सच साबित करते है कि वे बीमारी पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय महामारी का सांप्रदायीकरण कर खतरनाक रूप देना चाहते है ताकि अपनी नाकामयाबियों को छुपा सके.

हालांकि होना ये चाहिए था कि वे एक सशक्त व ईमानदारी प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते व इस बीमारी पर अंकुश लगाने की पहल करते लेकिन ऐसा नहीं किया. महामारी को बढ़ावा देने के लिए उनने हिंदुओं की भावना से भावनात्मक खिलवाड़ कर कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय उन्हें विस्तारित रूप देकर अनुमति प्रदान की. कहानी यहीं खत्म नही हो जाती. एक दल विशेष के पीएम होने के नाते उनने चुनावी सभाओं में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया. लाखों-लाख लोगों की सभाएं कर कोरोना महामारी को बुलावा देने का काम किया. अब आलम यह है कि लाखों की तादाद में लोग बेसमय मौत के गाल में समा रहे है.

इलाज के दौरान टूटती सांसों को न ऑक्सीजन मिल रही है न ही दवाइयां. दवा के अभाव में बेसमय ही लोग स्वर्ग को सिधार रहे है. तिस पर झूठ का तंत्र खड़ा करके एक झूठी साख बनाने के तमाम जतन किए जा रहे है. मतलब दिन-दुखियों को सहयोग की बजाय सब्जबाग दिखा कर उन्हंे मूर्ख बनाने का काम किया जा रहा है.

असल में देश में इस समय जिस तरह के हालात निर्मित हुए है और जो घटनाएं घटी है उनको देखते हुए शीर्ष नेतृत्व को यह समझना होगा कि 2019 की जीत के बाद जिस तरह से सरकार चल रही है, उसमें अब सुधार की काफी जरूरत है.

इस पहल में सबसे पहले तो इस सच को स्वीकार करना होगा कि वह लोगों को अदद ऑक्सीजन तक मुहैया नही कर पाई है. अब यथा स्थिति का सामना कर उसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को हटाना होगा. अब जनता ये भी जानना चाहती है कि जब इसी साल सरकार ने कोरोना संकट को संभालने का संकेत दिया था तो फिर उसका काम धरातल पर क्यों नहीं दिखाई दे रहा है.

केन्द्र सरकार के सजग रहने के बावजूद इतने कम समय में देश घोर स्वास्थ्य संकट कैसे झेल रहा है. असल में कोरोना की दूसरी लहर ने मोदी सरकार के झूठ- सच का पर्दाफाश कर दिया है. लोग मदद की निगाहों से प्रधानमंत्री मोदी की तरफ देख रहे थे और कह रहे थे कि-आत्मनिर्भर बनो. मोदी सरकार के इस तरह के व्यवहार से साफ है कि हम थे जिनके सहारे, वे हुए न हमारे.

इस भयावह स्थिति के लिए लोग अब सीधे-सीधे मोदी सरकार से कहीं ज्यादा नरेन्द्र मोदी को दोषी मान रहे है. जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीदें थी, वे ही निराश नजर आ रहे है. ऐसा ही एक उदाहरण आगरा शहर से सामने आया है. आगरा में अमित जायसवाल नाम का एक शख्स था. वह मोदी का परम भक्त था. हाल ही में उसकी कोरोना से जान चली गयी. अमित को खुद मोदी ट्विटर पर फालो करते थे. जब यह युवा कारोबारी कोविड से ग्रसित हुआ तो उसकी बहन ने अस्पताल में भर्ती होने पर पीएमओ, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को टैग कर मदद मांगी लेकिन सब जगह से निराशा ही हाथ लगी.

अब अमित इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं. अमित के  स्वर्गवासी होने के कुछ दिन बाद ही उसकी मां भी इस जहां को छोड़ कर चल बसी. अमित के दिल में नरेन्द्र मोदी को लेकर जो दीवानगी थी, हम थोड़ा उसके बारे में भी जान लेते है. अमित के सिर पर नरेंद्र मोदी का भूत इस तरह से सवार था कि वे पिछले कई सालों से अपनी कार के पीछे मोदी का पोस्टर लगा कर बाजार में घूमते रहते थे. वे पीएम की हर अदा का कायल था. नरेन्द्र अच्छा करे या बुरा करे, उसे हर रूप में स्वीकार कर अच्छा ही मानता था. अमित ने अपने ट्विटर हैंडिल पर लिख भी रखा था कि उसे प्रधानमंत्री फालो करते है. इस संबंध में एक वेबसाइट ने तो उसके ट्विटर हैंडिल का स्क्रीनशॉट भी प्रकाशित किया था. मजेदार बात ये है कि अब वह ट्विटर हैंडिल अस्तित्व में नहीं है. उसे डिलीट किया जा चुका है.

बहरहाल यह भी बताते चलूं कि अमित भाजपा और आरएसएस का भी सच्चा सिपाही था. वह एक सच्चे हिंदू झंडाबरदार की तरह पिछले साल न केवल अयोध्या गया था बल्कि उसने पूरे शहर में राम मंदिर का काम शुरू हो रहा था, तब अपनी तरफ से अयोध्या में एलईडी बैनर भी लगवाए थे. इन पर राम जन्मभूमि की इबारत चमक रही थी. अमित को आगरा में आरएसएस से जुड़े लोग बहुत मेहनती स्वयंसेवक के रूप में जानते थे. पिछले साल उसने आगरा में लॉकडाउन के समय एक ई-शाखा का आयोजन कर संघ-भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेताओं की वाहवाही भी खूब लुटी थी.

सच तो यह है कि अमित कट्टर हिंदूवादी था. उसने अपने ट्विटर हैंडल पर जो तस्वीर लगा रखी थी, वह उसकी उग्रता को खुलकर बयां कर रही थी. ये तस्वीर धनुर्धारी राम की है जो युद्ध की मुद्रा में धनुष पर बाण चढ़ाए रखे है. इतना ही नहीं, बगल में अमित ने एक कैप्शन भी लिख रखा था कि- वी कांकर, वी किल यानी हम विजय प्राप्त करते है हम वध करते है. ये कैप्शन अतिम की हिंसात्मक प्रवृत्ति को साफ बयां कर रहा था. हालांकि कह सकते है कि वह अंधभक्त था पर उसकी ये अंधभक्ति भी उसके कोई काम नही आई. एक युवा बेसमय मोदी की स्वास्थ्य से संबंधित कुनीतियों के चलते मौत की भेंट चढ गया. और हां यह भी जान ले कि अमित मुस्लिम नहीं, एक सच्चा और कट्टर हिंदू था.

अब अमित के चले जाने के बाद उसकी कार के पीछे से उसकी बहन सोनू ने पोस्टर नोच कर फेक दिया है. सोनू का ये गुस्सा कितना जायज है या नाजायज है, ये फैसला तो आप पर छोड़ा लेकिन उसने जो बातें कही है उन पर एक बार गौर फरमाना जरूरी है. वे कहती है मेरा भाई अमित और मेरी मां 19 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. दोनों को आगरा में भर्ती कराने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली. नाकाम रहने पर मथुरा ले जाकर वहां के नयति अस्पताल में भर्ती किया गया. 25 अप्रैल को इन दोनों की हालत बिगड़ने लगी तो अस्पताल प्रबंधन ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा. तभी सोनू ने अपने भाई के ट््िवटर अकाउंट से प्रधानमंत्राी और मुख्यमंत्राी को गुहार लगाई.

https://twitter.com/vinodkapri/status/1392575877582442499?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1392575877582442499%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.enavabharat.com%2Findia-news-hindi%2Fcovid-positive-amit-jaiswal-jain-follow-by-pm-modi-on-twitter-die-in-mathura-hospital-because-could-not-arrange-remdesivir-325990%2F

https://twitter.com/vinodkapri/status/1392575877582442499?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1392575877582442499%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.enavabharat.com%2Findia-news-hindi%2Fcovid-positive-amit-jaiswal-jain-follow-by-pm-modi-on-twitter-die-in-mathura-hospital-because-could-not-arrange-remdesivir-325990%2F

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

हवा से फैलता है कोरोना वायरस- सरकार ने जारी किए नए कोविड प्रोटोकॉल

कोरोना मानवता पर सबसे बड़ा खतरा, इस मुश्किल वक्त में बुद्ध के आदर्शों पर चलना जरूरी: पीएम मोदी

अभिमनोजः एलोपैथी को गालियां भी दे रहे हैं और कोरोना वैक्सीन भी लगवा रहे हैं, काहे?

जबलपुर की कृषि उपज मंडी में कोरोना कर्फ्यू के बीच हजारों लोगों की भीड़, संक्रमण का खतरा, देखे वीडियो

मुंबई के बाद लखनऊ के सीवेज वाटर में मिला कोरोना वायरस एक्सपर्ट बोले- पानी से संक्रमण फैलेगा या नहीं, यह रिसर्च का विषय

टाटा और महिंद्रा एंड महिंद्रा की दरियादिली, कोरोना से जान गंवाने वाले वर्कर्स के परिजनों को रिटायरमेंट देंगे पूरा वेतन

बायो-बबल में देर से पहुंचे कोहली-रोहित 7 दिन क्वारैंटाइन, कोरोना प्रोटोकॉल पर सख्त

Leave a Reply