जालंधर की कांता चौहान जिनके नाम शहर की पहली स्कूटी कैब ड्राइवर होने की उपलब्धि दर्ज है। हालांकि पति के एक हादसे में घायल होने के बाद जब हालात गड़बड़ाए तो कांता ने कैब सर्विस का काम शुरू करके घर को संभाल लिया था। अब कोरोना लॉकडाउन में कैब सर्विस बंद हो जाने के चलते फिर से एक बार वही भूखे मरने की नौबत आ गई, लेकिन कांता ने रोटी, दाल-चावल, चाय और परांठे की रेहड़ी लगा ली।
मूल रूप से मोहाली से ताल्लुक रखती कांता बेहद खुश थी, जब जालंधर के संत राम से शादी हुई। पति ऑटो रिक्शा चलाते थे, लेकिन परिवार सुखी था। एक दिन पति के एक्सीडेंट के बाद जिंदगी पटरी से उतर गई। सारी जमापूंजी इलाज में खर्च हो गई । पति ने सलाह दी कि एक निजी कंपनी के लिए कैब (स्कूटर) ड्राइवर बन जाएं। इसके बाद कांता निजी कंपनी के साथ स्कूटर लेकर शहर की सड़कों पर निकलने लग गई। शहर की पहली स्कूटर कैब चालक कांता चौहान उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई, जो हालात के आगे हथियार डाल देती हैं। पहले सिर्फ महिला सवारी तो अब कोई भी सवारी उठा रही थी। मगर, लॉकडाउन के कारण उनका काम बंद हो गया।
लॉकडाउन के बाद शुरू किया परांठा जंक्शन
जब उनका काम ठप्प हो गया तो कांता ने घर का खर्च चलाने के लिए परांठा जंक्शन की शुरूआत की। उन्होंने जालंधर बस स्टैंड के पास फ्लाईओवर के नीचे रेहड़ी पर परांठे बनाने व बेचने शुरू किए। यहां तक कि उन्होंने लॉकडाउन में लोगों की मदद भी और बिना पैसे उन्हें फ्री में खाना भी पहुंचाया।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बीमारी की वजह से महिला के पैर का वजन हुआ 45 किलोग्राम, बनाया जीवन का हिस्सा
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