भोपाल. मध्यप्रदेश में विद्युत उत्पादन इकाइयां मात्र 35 परसेंट प्लांट फैक्टर पर काम कर रही हैं और इसकी कीमत मध्य प्रदेश के गरीब उपभोक्ताओं को लूटकर चुकाई जा रही है. प्रदेश कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि शासकीय विद्युत इकाइयों की स्थापित 5400 मेगावाट क्षमता के विरुद्ध आज (28 मई) केवल 2029 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, इसके बावजूद भी सरकार एनर्जी सरप्लस होने का दावा कर रही है.
गुप्ता ने कहा कि अगर 35 परसेंट प्लांट फैक्टर के बाद भी राज्य एनर्जी सरप्लस है तो इसका अर्थ है कि मध्य प्रदेश की सारी औद्योगिक इकाइयां ठप्प पड़ी हुई हैं और भयानक बेरोजगारी से प्रदेश की जनता दो-चार हो रही है. बंद पड़ी हुई विद्युत इकाइयों पर जो ब्याज वेतन और अन्य खर्चे हो रहे हैं, उसकी कीमत उपभोक्ता के बिलों में जोड़ी जा रही है. कोरोना की भीषण महामारी में जब जनता के पास दवा खरीदने पैसे नहीं हैं, तब सरकार महंगी बिजली, महंगा पेट्रोल, महंगे डीजल से उसे मार रही है.
गुप्ता ने मांग की है कि सरकार विद्युत उत्पादन की वास्तविक स्थिति से प्रदेश को अवगत कराये और बताए कि क्षमता का 3300 मेगावाट का उत्पादन क्यों नहीं किया जा रहा है और इस आपराधिक लापरवाही के खर्चे उपभोक्ता पर क्यों मुंड़े जा रहे हैं. इन्हीं इकाइयों के माध्यम से बिजली पैदा करके कमलनाथ सरकार ने 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली दी थी, आज वही बिजली लगभग सारी ड्यूटी मिलाकर सात रुपए यूनिट में उपभोक्ता खरीद रहा है. मध्य प्रदेश सरकार जजिया टैक्स की तरह कीमतें बढ़ाकर महंगाई से लोगों को कुचल रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिगड़ रहा मौसम : दिल्ली, मध्यप्रदेश सहित इन राज्यों के लिए बारिश का अलर्ट
मध्यप्रदेश के लिए दूसरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस बोकारो से पहुँची, 47.37 मीट्रिक आक्सीजन है
मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने वालों के लिए खुश-खबरी, जल्द ही मिलेगी ज्वाइनिंग
Leave a Reply