अभिमनोज. देश की सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न प्रदेशों की हाईकोर्ट, कोरोना काल की गलतियों, लापरवाहियों, अव्यवस्थाओं आदि पर लगातार जनहित के निर्देश-आदेश दे रही हैं, अब इन पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है?
मोदीजी जितना ध्यान लगा कर मन की बात सुनाते हैं, उतने ही ध्यान से यदि अदालतों की बात सुन लें, तो हालात में कुछ सुधार हो जाए?
खबर है कि व्यंग्यबाण चलाते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हमने एक वीडियो देखा है कि नदी में शव को बहाया जा रहा है. हमें नहीं पता कि जिस चैनल ने इस वीडियो को दिखाया, उसके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ या नहीं?
देश में कोरोना इलाज के बेहतर प्रबंधन और वैक्सीनेशन नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने शवों के सम्मानपूर्ण अंतिम संस्कार का मसला उठाया और कहा कि- यह देखा जा रहा है कि कभी बीमारी के डर से, तो कभी आर्थिक कारण से लोग शवों का सही तरीके से अंतिम संस्कार नहीं कर रहे हैं. कोर्ट को इस बारे में भी राज्य सरकारों से जवाब-तलब करना चाहिए. उन्हें निर्देश देना चाहिए कि विद्युत शवदाह गृह की संख्या बढ़ाएं. दाह संस्कार के समय होने वाले वाली धार्मिक औपचारिकताओं को भी कुछ इस तरह से पूरा किया जाए, जिससे प्रक्रिया पूरी भी हो और जल्दी भी निपट सके.
खबरों पर भरोसा करें, तो इस पर जजों का कहना था कि- ऐसा एक मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. आगे इस पर विचार किया जाएगा.
याद रहे, इसी बेंच ने सोशल मीडिया में कोरोना के इलाज के लिए मदद मांग रहे लोगों पर हो रही पुलिसिया कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त की थी और अपने आदेश में लिखा था कि- अगर सोशल मीडिया पर कोरोना के इलाज से जुड़ी अपनी तकलीफ रख रहे किसी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया गया या उसे परेशान किया गया तो, यह कोर्ट उसे अपनी अवमानना की तरह देखेगा. राज्यों के डीजीपी यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के लोगों को और अधिक परेशान न किया जाए.
अदालतें लगातार बेहतर निर्णय देकर, उत्तम निर्देश देकर, हालात सुधारने की दिशा में अच्छा कार्य कर रही हैं, लेकिन प्रायोगिक भूमिका तो संबंधित सरकारों की है, क्या सरकारें इसे ठीक से समझ रही हैं?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आरबीआई की रिपोर्ट पर मचा बवाल, विपक्ष ने पूछा लाखों करोड़ों कहां हुए गायब, निशाने पर मोदी सरकार
यदि मोदी का नाम लेने में डर लगता है, तो आपका नाम लेने में आपके बच्चों कोे शर्म आएगी?
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