नजरिया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. पिछले विधानसभा चुनाव तक जनता के अच्छे दिनों का सपना टूटा नहीं था, लेकिन अब वे दिन गए जब पसीना गुलाब था?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि योगी सरकार को विपक्ष से उतना बड़ा सियासी खतरा नहीं है, जितना मोदी सरकार के गलत फैसलों से है.
याद रहे, विधानसभा चुनाव 2018 में भी मोदी सरकार की गलतियों की सजा एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों की बीजपी सरकारों को मिली थी.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव ने साफ कर दिया है कि कृषि कानून पर मोदी सरकार की जिद अगले विधानसभा चुनाव में भारी पड़ने वाली है.
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव ने साफ कर दिया है कि अब केवल मीडिया मैनेजमेंट, पॉलिटिकल मैनेजमेंट के दम पर जीत हासिल नहीं की जा सकती है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण यही है कि 2014 में जो नरेंद्र मोदी पर जनता का भरोसा कायम हुआ था, वह खत्म हो गया है. अब मोदी के नाम पर वोट जुटाना आसान नहीं है. इसलिए, केवल इमोशनल मुद्दों पर अब कामयाबी मुश्किल है.
कोरोना संकट से निपटने में योगी सरकार ने भले ही खूब मेहनत की हो, लेकिन मोदी सरकार की लापरवाही यहां भी नुकसान पहुंचाने वाली है, यदि विधानसभा चुनाव से पहले जनता को वैक्सीन मिल जाए, तो थोड़ी-बहुत सियासी भरपाई हो सकती है, किन्तु बीजेपी के जिन प्रबल समर्थकों ने मोदी सरकार की लापरवाही के कारण अपनों को खोया है, क्या उन्हें समझाना आसान होगा?
लेकिन, अभी भी कुछ ऐसे तथ्य हैं, जो योगी को विपक्ष के मुकाबले मजबूत बनाते हैं.
एक- योगी के पास एक बड़ा वोट बैंक है, जो मोदी सरकार की तमाम गलतियों के बावजूद विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देगा.
दो- विपक्ष का वोट बिखरा हुआ है, इसलिए कम प्रतिशत वोट प्राप्त करके भी योगी जीत सकते हैं, लेकिन यदि यह वोट बंगाल की तरह किसी एक विपक्षी पार्टी के खाते में चला गया तो बीजेपी की जीत पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा?
खबर है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की समीक्षा करने आए बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश सरकार के कार्यों की प्रशंसा की है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य में कोरोना की घातक दूसरी लहर को प्रभावी ढंग से काबू में किया है.
सियासी सयानों का मानना है कि कहने को कुछ भी कहा जाए, लेकिन सियासी सच्चाई बीजेपी के लिए भी खतरे की घंटी बजा रही है, क्योंकि यदि 2022 में यूपी बीजेपी के हाथ से निकल गया, तो 2024 भी हाथ से निकलना तय हो जाएगा!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सीएम योगी की मानवीय पहल- कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकारों के परिवार को 10-10 लाख की आर्थिक सहायता
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