अभिमनोजः क्या पीएम मोदी के सियासी कर्मों की राजनीतिक कीमत सीएम योगी चुकाएंगे?

अभिमनोजः क्या पीएम मोदी के सियासी कर्मों की राजनीतिक कीमत सीएम योगी चुकाएंगे?

प्रेषित समय :07:31:37 AM / Fri, May 28th, 2021

नजरिया. भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का कहना है कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाकियू, भाजपा का विरोध करेगी, मतलब.... पीएम मोदी के सियासी कर्मों की राजनीतिक कीमत सीएम योगी चुकाएंगे?

ऐसा पहले भी हो चुका है, जब मोदी सरकार से नाराजगी की सियासी कीमत विधानसभा चुनाव 2018 में एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकारों ने चुकाई थी, इस हार के बाद अचानक मोदी सरकार ने राजनीतिक रंग बदला और इंकम टैक्स में छूट, आर्थिक आधार पर आरक्षण जैसे निर्णय लिए, जिसके कारण लोकसभा चुनाव 2019 में संघ के समर्पित समर्थन के कारण फिर से केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी, लेकिन एक बार फिर पीएम मोदी सरकार उसी पुरानी राह पर चल पड़ी है?

यूपी पंचायत चुनाव बताते हैं कि किसान आंदोलन का नुकसान बीजेपी को हो रहा है और बहुत संभव है कि यदि कृषि कानूनों को लेकर जल्दी ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है.

हालांकि, यदि यूपी से योगी सरकार की विदाई हो भी जाती है, तब भी पीएम मोदी की सियासी सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके पास तो 2024 तक का समय है?

वैसे भी मोदी-शाह के अलावा किसी और नेता की पालिटिकल इमेज से मोदी टीम को कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है!

उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को छह माह हो गए और यह किसानों का अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन है. आंदोलन के छह माह होने परे किसान संगठनों के साथ भाकियू ने भी काला दिवस मनाया था.

खबरें हैं कि इस अवसर पर भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार आंदोलन को खत्म कराना नहीं चाहती, लिहाजा यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाकियू भाजपा का विरोध करेगी.

प्रेस से उनका कहना था कि केंद्र में भाजपा सरकार को किसानों, मजदूरों और नौजवानों ने बड़ी उम्मीद के साथ बनाया था, लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण किसान काला दिवस मनाने पर मजबूर हैं. अब किसान आगे भी अपनी लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ेगा, हरेक गांव का दिल्ली बॉर्डर पर कैंप लगाया जाएगा, जिसमें बॉर्डर पर प्रत्येक गांव की उपस्थिति अनिवार्य होगी.

इस आंदोलन में अब तक की सबसे बड़ी बात यह रही कि सरकार जिद्दी रवैया अपनाए हुए हैं. सरकार ने ऐसे बिल बनाए हैं, जिसमें किसान के साथ ही आम आदमी और मजदूर भी बर्बाद हो जाएगा. व्यापारियों को असीमित भंडारण की छूट दे रखी है, तो कॉट्रेक्ट खेती में पूंजीपतियों की निगाह किसान की जमीन हड़पने पर है.

उनका सवाल है कि किस फॉर्मूले के तहत सरकार 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही थी? सरकार के अभी तक के किए गए सभी वादे झूठे साबित हुए हैं!

उन्होंने दोहराया कि किसानों की मांग पूरी नहीं होने पर भारतीय किसान यूनियन 2022 में यूपी में विधानसभा के होने वाले चुनाव में भाजपा का विरोध करेगी.

बड़ा सवाल यह है कि क्या अब भी मोदी सरकार किसान आंदोलन को नजरअंदाज ही करती रहेगी?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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