नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर की मार ने कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स को काफी नीचे पहुंचा दिया है. कंज्यूमर कॉन्फिडेंस यूं तो 2019 से ही निगेटिव है. लेकिन कोरोना संक्रमण ने इसे भारी नुकसान पहुंचाया है. आरबीआई के सर्वे के मुताबिक मार्च 2021 में यह 53.1 फीसदी था लेकिन मई 2021 में गिर कर 48.5 फीसदी पर पहुंच गया.
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस आर्थिक विकास को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. यह परिवारों की खपत को दिखाता है. कंज्यूमर जब देश की मौजूदा और भविष्य की अर्थव्यवस्था में विश्वास जताता है तो ज्यादा खर्च करता है. यह स्थिति इस इंडेक्स को बढ़ाती है.
आरबीआई के सर्वे के मुताबिक मई में आर्थिक हालात को लेकर परसेप्शन गिर कर -75 पर आ गया. माचज़् में यह -63.9 फीसदी पर था. एम्प्लॉयमेंट परसेप्शन मई में -74.9 फीसदी रहा, जबकि मार्च में यह -62.4 था.
आरबीआई के ताजा सर्वे के मुताबिक देश में परिवारों की ओर से खर्च कम हो रहा है. गैर जरूरी खर्चे में लगातार गिरावट आ रही है. आरबीआई का यह सर्वे 29 अप्रैल से 10 मई तक देश के 13 बड़े शहरों में किया गया था . इसमें 5258 लोगों से बात की गई थी. लोगों से रोजगार की स्थिति, आर्थिक हालात, चीजों की कीमतों, कमाई और खर्चे पर सवाल पूछे गए थे.
आरबीआई ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला किया. इसके साथ ही उसने एमएसएमई सेक्टर के लिए लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सीमा 25 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दी. दरअसल देश में रोजगार में कमी की वजह से लोगों के खर्च करने की क्षमता लगातार घट रही है. इसका असर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पर साफ दिख रहा है. लोगों में अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास कम हो रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-देश की अर्थव्यवस्था 2021 के कैलेंडर वर्ष में 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगी
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