चुनाव आयोग ने केंद्र को 5 सुधारों के लिए लिखी चिट्ठी, आधार से लिंक होगी वोटर लिस्ट

चुनाव आयोग ने केंद्र को 5 सुधारों के लिए लिखी चिट्ठी, आधार से लिंक होगी वोटर लिस्ट

प्रेषित समय :09:50:47 AM / Wed, Jun 9th, 2021

नई दिल्ली. चुनाव आयोग की ओर से लंबे वक्त से केंद्र सरकार से कानून में बदलाव करने की मांग की जा रही है. चुनाव आयोग का कहना है कि जो भी नया व्यक्ति वोटर आईडी कार्ड के लिए अप्लाई करे, उसके लिए आधार की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया जाए. चुनाव आयोग का कहना है कि आधार और वोटर आईडी कार्ड कनेक्ट होने से काफी दिक्कतें खत्म होंगी, अभी वोटर लिस्ट में कई नाम बार-बार आते हैं और कई जगह आते हैं. इससे ये दिक्कत दूर हो सकती है. 

चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त बताया कि आयोग ने कानून मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इन प्रस्तावों पर तेजी से विचार करने की अपील की है. इनमें नए मतदाताओं के लिए एक साल में कई रजिस्ट्रेशन की तारीखें भी शामिल हैं. मंत्रालय के पास ऐसे करीब 40 प्रस्ताव पेंडिंग में हैं. बता दें कि अगले साल गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं.

चुनाव आयोग चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव के रूप में डिजिटलाइजेशन, मतदाताओं के दोहराव को खत्म करने और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भी वोटिंग का अधिकार देने पर विचार कर रहा है. अधिकारी ने कहा, 'चुनाव आयोग ने 17 मई को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को इन सुधारों पर फिर से विचार करने के लिए एक चिट्ठी भेजी थी.'

हालांकि, राजनीतिक नेताओं और विशेषज्ञों का तर्क है कि उल्लिखित कुछ सुधार अच्छे हैं, लेकिन चुनाव आयोग को रैलियों में अभद्र भाषा के इस्तेमाल और हेट स्पीच को रोकने के लिए भी कुछ करना चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे. अभी ECI ने अपनी चिट्ठी में सिर्फ पांच सुधारों पर ही फोकस किया है.

पहला सुधार: 

यह प्रस्तावित किया गया है कि 18 साल के होने वाले मतदाता साल में सिर्फ एक बार रजिस्ट्रेशन कराने में सक्षम हो. वर्तमान में 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले युवा ही मतदाता के रूप में रजिस्ट्रेशन के पात्र हैं. अधिकारी ने कहा, 'इससे बहुत से लोग पूरा साल खो देते हैं और वोट नहीं दे पाते. आयोग ने इसके बजाय संभावित रजिस्ट्रेशन तारीखों के रूप में 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 सितंबर और 1 दिसंबर को प्रस्तावित किया है. 

दूसरा सुधार: 

चुनाव आयोग झूठे हलफनामों पर सख्त कार्रवाई चाहता है. वर्तमान में झूठी या गलत सूचना देने वाले उम्मीदवारों को छह महीने तक की कैद की सजा हो सकती है. आयोग ने इसे बढ़ाकर दो साल करने का सुझाव दिया है. पहले अधिकारी ने कहा, "वर्तमान जेल की अवधि उम्मीदवार की अयोग्यता का परिणाम नहीं है. उम्मीदवार को छह साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है."

तीसरा सुधार: 

चुनाव आयोग ने स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव को लेकर पेड न्‍यूज को चुनाव अपराधों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की है. मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त सुशील चंद्रा ने हाल ही में इसपर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि आयोग ने विधि मंत्रालय को जरूरी संशोधन का सुझाव दिया है.

चौथा सुधार: 

यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रिंट मीडिया (समाचार पत्रों, पत्रिकाओं) में विज्ञापनों को मौन अवधि के दौरान प्रतिबंधित कर दिया जाए, क्योंकि इसमें उम्मीदवारों को प्रचार करने की अनुमति नहीं है.

पांचवां सुधार: 

चुनाव आयोग आधार डेटा को मतदाता सूची से जोड़ना चाहता है, ताकि मतदाता पहचान पत्र के दोहराव को खत्म किया जा सके. पहले अधिकारी ने कहा, “यह यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जब कोई व्यक्ति दूसरे राज्य में जाता है, तो उसका मतदाता पहचान पत्र दोबारा जारी न करके इसे सिर्फ ट्रांसफर किया जा सके." सभी प्रस्तावित सुधारों के लिए सरकार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन करने की जरूरत होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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