नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबलूएचओ) के यूरोप निदेशक ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 का उच्च संचरण वाला प्रकार क्षेत्र में जड़ जमा सकता है, क्योंकि कई देश प्रतिबंधों में ढील देने की तैयारी कर रहे हैं और अधिक सामाजिक कार्यक्रमों तथा सीमा पार यात्राओं की अनुमति दे रहे हैं. डब्ल्यूएचओ के डॉ. हंस क्लूगे ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि इस प्रकार को डेल्टा प्रकार के नाम से भी जाना जाता है और इस पर कुछ टीकों के प्रभावी नहीं होने के भी लक्षण हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि आबादी का कुछ हिस्सा खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अब भी टीका नहीं लगा है.
डब्ल्यूएचओ यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, पिछली गर्मियों के दौरान कम उम्र के लोगों में मामले धीरे-धीरे बढ़ते गए और फिर बुजुर्ग लोगों में संक्रमण फैला, जिससे महामारी का प्रकोप अत्यधिक बढ़ गया. क्लूगे ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के कारण 2020 की गर्मियों और सर्दियों में मौतें हुईं और फिर लॉकडाउन लगा. उन्होंने कहा, हमें फिर वही गलती नहीं दोहरानी चाहिए.
फ्रांस में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की पुष्टि
फ्रांस ने भारत में फैले कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप वाला पहला मामला सामने आने की पुष्टि 29 अप्रैल को की. स्वास्थ्य मंत्रालय ने 29 अप्रैल की रात कहा कि दक्षिणी फ्रांस के बचेस डू रोने और लोत एत गारोने क्षेत्र में तीन लोगों के वायरस के नए स्वरूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. तीनों लोगों ने पिछले दिनों भारत की यात्रा की थी. देश के स्वास्थ्य मंत्री ने ओलिवियर वेरन ने कहा कि फ्रांस में कोरोना के स्वरूप के कई समूह लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, खासतौर पर दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में.
श्रीलंका में डेल्टा स्वरूप से बढ़ा कोरोना वायरस का खतरा
श्रीलंका में बीते 8 मई को कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप (बी.1.617) का पहला मामला भारत से हाल ही में लौटे एक व्यक्ति में सामने आया. यह व्यक्ति कोलंबो के पृथक-वास केंद्र में रह रहा था. श्रीजयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के रोग प्रतिरक्षा एवं आणविक चिकित्सा विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि संक्रमित व्यक्ति भारत से आया और वापस आने वाले लोगों के लिए बनाए गए कोलंबो के एक पृथक-वास केंद्र में रह रहा था. श्रीलंका में सात मई को कोरोना वायरस संक्रमण के कारण एक ही दिन में सर्वाधिक 19 लोगों की मौत हो गई. इतना ही नहीं, अप्रैल के बाद से कोरोना वायरस के मामलों में काफी इजाफा होना भी शुरू हुआ.
चीन के ग्वानझोउ में डेल्टा का आतंक
चीन के दक्षिणी प्रांत ग्वानझोउ में कोविड-19 के नए स्वरूप के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सिनेमा घर, थिएटर, नाइट क्लब और बंद स्थानों पर होने वाली अन्य गतिविधियों को बंद करने का आदेश दिया गया है. चीन के दक्षिणी प्रांत ग्वानझोउ के लोग बिना किसी अति-आवश्यक काम के बाहर नहीं निकल सकतेय अनुमति मिलने पर भी किसी भी व्यक्ति को संक्रमण मुक्त होने की पुष्टि करने वाली रिपोर्ट दिखानी होगी, जो 48 घंटे के अंदर की हो. ग्वानझोउ के आसपास के प्रांत में भी लोगों पर यह नियम लागू होगा. इन नियमों के अनुसार, रेस्तरां में बैठकर खाने पर भी रोक लगा दी गई है. ग्वानझोउ में 9 जून तक आठ नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या 100 के पार चली गई है. ये सभी मामले 21 मई के बाद से सामने आए हैं. चिकित्सकों ने कहा कि ग्वानझोउ में सामने आया संक्रमण का यह नया स्वरूप डेल्टा है, जो बेहद संक्रामक है.
दिल्ली के कोविड-19 मामलों में 60 प्रतिशत में डेल्टा प्रकार पाया गया
दिल्ली में चौथी कोविड-19 लहर के दौरान मामलों में तेज वृद्धि मुख्य रूप से डेल्टा प्रकार के कारण थी जिसमें प्रतिरक्षण से बचने के गुण हैं और अप्रैल में सामने आये कुल मामलों में से 60 प्रतिशत मामले इसी के थे. यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के शोधकर्ताओं का कहना है कि डेल्टा प्रकार, बी.1.617.2, अल्फा प्रकार, बी1.117 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संचरण योग्य है, जो सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आया था. शोधकर्ताओं ने कहा, हमने पाया है कि दिल्ली में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के इस उछाल के लिए नया अत्यधिक संक्रामक प्रकार (वीओसी), बी.1.617.2 के चलते हैं जिसमें संभावित प्रतिरक्षण से बचने के गुण हैं. यह पता लगाने के लिए कि क्या दिल्ली में अप्रैल 2021 के प्रकोप के लिए सार्स-सीओवी-2 प्रकार जिम्मेदार हो सकता है, शोधकर्ताओं ने नवंबर 2020 में मई 2021 तक दिल्ली के सामुदायिक नमूनों की सिक्वेंसिंग और विश्लेषण किया.
क्या है कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के प्रसार की वजह?
कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप जो सबसे पहले भारत में पाया गया था, अब वह ब्रिटेन में संक्रमण का एक प्रमुख कारण बन रहा है. कुछ विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ब्रिटेन में पहले कहर बरपाने वाले स्वरूप अल्फा के मुकाबले डेल्टा स्वरूप का प्रसार 100 फीसदी तक अधिक हो सकता है, लेकिन डेल्टा के हावी होने की केवल यही वजह नहीं है. वायरस के हावी होने में सक्षम स्वरूपों को एक जैविक लाभ मिलता है जो है म्यूटेशन (उत्परिवर्तन), जिसके जरिये ये स्वरूप लोगों के बीच बहुत ही आसानी से फैलते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में मानव उत्पत्ति अध्ययन विभाग के पीएचडी शोधार्थी जोनाथन आर गुडमैन ने कहा कि ब्रिटेन की सरकार का टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच अंतराल को बढ़ाया जाना वजह है कि डेल्टा स्वरूप को लोगों को संक्रमित करने का मौका मिल गया. इस तरह जहां डेल्टा स्वरूप भारत में प्राकृतिक चुनाव की वजह से फैला, वहीं संभवत: ब्रिटेन में इसके फैलने का कारण अनजाने में किया गया चुनाव रहा और इसी वजह से यह बना रहा और बढ़ता गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कोरोना के इलाज के लिए SBI दे रहा है 5 लाख रुपये तक का लोन, जाने पूरी प्रक्रिया
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