पायलट के साथ बसपा विधायक बन रहे गहलोत के लिए संकट

पायलट के साथ बसपा विधायक बन रहे गहलोत के लिए संकट

प्रेषित समय :21:34:31 PM / Mon, Jun 14th, 2021

विशेष प्रतिनिधि नई दिल्ली. राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अब बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक भी गहलोत के लिए सिरदर्द बन सकते हैं. पायलट को रोकने गहलोत द्वारा 2 माह की दूरी की चाल चली गई है. वहीं बसपा छोडक़र कांग्रेस में आए विधायकों के करवट बदलने के मिल रहे संकेत राजस्थान सरकार पर खतरा बढ़ा सकते हैं.  

सचिन पायलट की तरफ से बढ़ाए जा रहे दबाव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोराना से सुरक्षा संबंधी मेडिकल रिपोर्ट आ गई. उस रिपोर्ट में चिकित्सकों द्वारा गहलोत को 2 माह तक किसी से नहीं मिलने की सलाह दी गई है. चिकित्सकों की इस सलाह पर तत्काल अमल करते हुए गहलोत अब घर में रहेंगे और वहां से सभी तरह की बैठक वह ऑन लाइन करेंगे. चिकित्सकों की इस सलाह के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, जिसमें सबसे अहम ये कि गहलोत ने यह पायलट को सरकार में आने से रोकने के लिए किया है. चिकित्सकों की सलाह पर घर से सारा काम करने का मतलब है कि मंत्रिमंडल का विस्तार अब दो माह के लिए टल गया है. दो माह के बाद स्थिति के हिसाब से गहलोत आगे का कदम उठाएंगे. समझा ये जा रहा है कि अचानक सचिन पायलट की तरफ से मुहिम तेत की गई और सरकार में हिस्सेदारी का दबाव बनाया गया. पायलट समर्थक विधायकों के जोड़तोड़ के साथ कई अन्य विधायकों को साधते हुए पायलट दिल्ली तक आ पहुंचे थे. हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कोई बयान देने से बचे, लेकिन दिल्ली से वापसी के बाद उन्हें लगा कि शायद गहलोत इस दबाव के चलते जल्द मंत्रिमंडल विस्तार का कदम उटा लें, लेकिन गहलोत उनसे भी चतुर खिलाड़ी निकले. गहलोत ने दो माह का ऐसा फार्मूला निकाला कि इस पर केन्द्रीय नेतृत्व भी गहलोत पर दबाव नहीं बना पाएगा. मामला अब पायलट बनाम गहलोत नहीं रह गया. बसपा छोडक़र जो 6 विधायक कांग्रेस में आए थे, वहां भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है. इन विधायकों ने जयपुर में एक विधायक के आवास पर अलग से बैठक करके गहलोत पर दबाव की रणनीति अपनाई है. कहा जाता है कि कांग्रेस में शामिल होने के डेढ़ साल बाद ही मंत्री नहीं बनाए जाने से यह नाराज हैं. इन विधायकों का कहना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होना चाहिए. इनका मत है कि उनके कांग्रेस में शामिल होने से ही गहलोत सरकार में स्थिरता आई है और अब गहलोत को उन्हें सम्मान देना चाहिए. यानी गहलोत सरकार दो तरफा दबाव से घिरती जा रही है. यदि 2 माह सबसे दूरी के फार्मूले के बीच नई बगावत पैदा हुई तो गहलोत को सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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