प्रदीप द्विवेदी. कभी राजस्थान में सचिन पायलट का सियासी दबदबा था, वे गांधी परिवार के करीब थे और वे उपमुख्यमंत्री बनकर, मुख्यमंत्री पद सेे केवल एक कदम की दूरी पर थे, लेकिन सियासी धैर्य के अभाव में उनकेे कदम गलत दिशा में आगेे बढ़ गए, नतीजा? उपमुख्यमत्री पद तो दूर, उन्हें अपने और अपने समर्थकों के सामान्य सियासी हक केे लिए भी अब संघर्ष करना पड़ रहा है.
खबरों पर भरोसा करें तो एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मेदांता अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और उन्हें राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासी महाभारत को खत्म करने की जिम्मेदारी दी गई है.
बड़ा सवाल यह है कि क्या सियासी विवाद खत्म होेगा?
शायद नहीं! क्योंकि.... सियासत के जादूगर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोेत ने सचिन पायलट की एक गलती कोे बहुत बड़ा सियासी हथियार बना लिया है.
गांधी परिवार से तो उनकी वो सियासी करीबी रही नहीं, इस एक साल में बगावत करने वाले पायलट समर्थक कई विधायकों को गहलोत ने उनसे दूर कर दिया है.
तो क्या, गहलोत-पायलट विवाद सुलझाने में कमलनाथ को कामयाबी नहीं मिलेगी? क्या सचिन समर्थकों कोे उनका सियासी हक नहीं मिलेगा?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कमलनाथ होें या कोई और.... अब सचिन पायलट और उनके समर्थकों को उतना ही राजनीतिक हक दिला पाएंगे कि राजस्थान में सियासी समीकरण का संतुलन बना रहे, उन्हें कोई पॉलिटिकल की पोजीशन दिलवाना मुश्किल है. यदि सचिन पायलट इससे संतुष्ट हो जाते हैं, तो ठीक, वरना सियासी समय यूं ही गुजरता रहेगा और जितना समय गुजरेगा सचिन पायलट सियासी तौर पर उतने ही कमजोर होते जाएंगे!
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