निरंजन परिहार.,जयपुर. सियासत के इस सत्य और उसके तथ्य को सचिन पायलट अच्छी तरह समझते हैं कि राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व है. समझदार नेता प्रतीकों के जरिए संदेश देते हैं. सो, इशारों को समझनेवाले इशारों – इशारों में पूछ रहे हैं कि पायलट कांग्रेस में हैं भी या नहीं? उनके सोशल मीडिया अकाउंट तो चीख - चीखकर यही कह रहे हैं कि कांग्रेस से उनका कोई रिश्ता नहीं है. उनके ट्वीटर प्रोफाइल में लिखा है - टोंक से विधायक, भारत सरकार में आइटी, टेलीकॉम व कॉर्पोरेट अफेयर्स के पूर्व मंत्री और टेरिटोरियल आर्मी के कमीशंड ऑफिसर. बस इतना ही. न कांग्रेस, न उसका तिरंगा, न ही कांग्रेसी चिन्ह. पायलट ऐसे ही स्वयं को कांग्रेस को दूर रखे हुए हैं, लंबे समय से. जबकि कांग्रेस से विधायक हैं, कांग्रेस के ही प्रदेश अध्यक्ष थे, कांग्रेस की सरकार में ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी. कांग्रेस से ही केंद्र में राज्यमंत्री रहे. लेकिन सचिन ने लिखा है कि मंत्री थे. जबकि वास्तव में राज्यमंत्री थे, मंत्री नहीं, तथ्य जरा ठीक कर लें, तो सही होगा. वैसे, अपनी ही पार्टी की सरकार पलटने की कोशिश के आरोप में 2020 में उनको प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दोनों पदों से बर्खास्त किया गया था. पायलट ने उस वक्त कांग्रेस से सोशल मीडिया पर जो रिश्ते खारिज किए थे, वे फिर से नहीं जोड़े हैं. सवाल इसीलिए है कि पायलट कांग्रेस में है?
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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