नई दिल्ली. करीब सात महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के खिलाफ आवाज उठने लगी है. आज हरियाणा के शेरशाह गांव में 36 बिरादरी की महापंचायत हो रही है, ये महापंचायत किसानों के आंदोलन के विरोध में हो रही है. महापंचायत में दिल्ली के 12 गांव और हरियाणा के 15 गांव के लोग शामिल हैं. शेरशाह गांव सिंघु बॉर्डर से सटा हरियाणा का गांव है.
दरअसल ये गांव वाले किसान आंदोलन की आड़ में हो रही आपराधिक वारदातों से नाराज हैं. महापंचायत में हिंसक घटनाओं के विरोध के साथ साथ बॉर्डर को एक तरफ खुलवाने की भी मांग की जा रही है. पिछले करीब सात महीने से किसानों का दिल्ली के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन चल रहा है, इस दौरान टिकरी बॉर्डर पर एक शख्स को जिंदा जलाने और एक लड़की के साथ रेप का आरोप लगा है.
सिंघु बॉर्डर से सटे गांव वाले पहले भी स्थानीय प्रशासन तथा आंदोलनकारी गांव वालों से रास्ता खोलने की मांग कर चुके हैं. गांव वालों ने महापंचायत के दौरान किसान आंदोलन की वजह से पैदा हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी चर्चा की है. फिलहाल मांग यह की गई है कि अगर अगले 10 दिनों के अंदर रास्ता नहीं खोला गया तो एक और बड़ी महापंचायत होगी और उसमें आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा से जब इस मसले पर बात हुई तो उन्होंने कहा कि वे सड़क पर अपनी खुशी से नहीं बैठे हैं क्योंकि सरकार उनकी मांगों को नहीं मांग रही है. उनका कहना है कि सरकार अगर उनकी मांगें मान ले तो वे सड़क से हट जाएंगे. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि किसानों के धरने की वजह से उनको बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हरियाणा: किसान आंदोलन में शामिल लोगों पर ग्रामीण को जिंदा जलाने का आरोप, बढ़ा तनाव
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