सूर्यदेव जुलाई 2021 की शुरुआत में मिथुन राशि में, तो उत्तरार्ध में कर्क राशि में गोचर करेंगे, मासिक राशिफल....

सूर्यदेव जुलाई 2021 की शुरुआत में मिथुन राशि में, तो उत्तरार्ध में कर्क राशि में गोचर करेंगे, मासिक राशिफल....

प्रेषित समय :20:10:19 PM / Wed, Jun 23rd, 2021

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
विभिन्न ग्रहों की गति के अनुसार व्यक्ति के जीवन में शुभाशुभ बदलाव आते हैं. सार्वजनिक शुभाशुभ प्रभाव ग्रह के राशि विशेष में गोचर के सापेक्ष होता है, लेकिन इनका व्यक्तिगत शुभाशुभ प्रभाव ग्रह विशेष के कारकत्व के सापेक्ष होता है. गोचरवश सूर्यदेव जुलाई, 2021 माह की शुरुआत में मिथुन राशि में रहेंगे, तो उत्तरार्ध में कर्क राशि में गोचर करेंगे.

इस माह के दौरान गोचरवश अधिकतर समय- शनि मकर राशि में, राहु वृषभ राशि में, केतु वृश्चिक राशि में, गुरु कुंभ राशि में, मंगल पहले कर्क और फिर सिंह राशि में, बुध क्रमशः वृषभ, मिथुन और कर्क राशि में, तो शुक्र पहले कर्क, तो बाद में सिंह राशि में रहेंगे.

जुलाई 2021 का मासिक राशिफल-

मेष (चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,आ): दशम भाव में शनि का वक्री होना कार्यक्षेत्र को प्रभावित करेगा, इसलिए सतर्क रहें, लेकिन गोचरवश सूर्य पूर्वार्ध में तो शुक्र, गुरु संपूर्ण माह में शुभ फल प्रदान कर रहे हैं. पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान की प्राप्ति, भौतिक सुख-सुविधाओं का विस्तार, धर्म-कर्म में सफलता प्राप्त होगी. महावीर हनुमान के गुरु स्वरूप की पूजा-अर्चना से लाभ.

वृषभ (ई,ऊ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो): भाग्य भाव में वक्री शनि धर्म-कर्म को प्रभावित कर सकता है. आर्थिक मामलों में सतर्क रहे. सूर्य उत्तरार्ध, मंगल पूर्वार्ध, बुध, शुक्र, केतु संपूर्ण माह में साथ देंगे, कला के क्षेत्र में उपलब्धि के योग, परिवार में कामयाबी का परचम लहराएगा. ध्यानरत महावीर हनुमान की पूजा-अर्चना से कष्ट समाप्त होंगे.

मिथुन (का,की,कू,घ,ङ,छ,के,को,ह): इस वक्त शनि की ढैया हैं, इसलिए वक्री शनि के कारण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. सेहत को लेकर सतर्क रहें. इस माह गुरु, शुक्र का पूरे माह तथा मंगल का उत्तरार्ध में सहयोग मिलेगा, इसलिए धर्म-कर्म के अवसर मिलेंगे, भौतिक सुख-सुविधाओं का विस्तार होगा तथा रक्त संबंधियों के सहयोग से कामयाबी मिलेगी. संजीवनी महावीर हनुमान की आराधना करें राहत मिलेगी.

कर्क (ही,हू,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो): परिवार में विवाद से बचें, आर्थिक परेशानी, लेकिन कहीं-न-कहीं से व्यवस्था हो जाएगी, साझेदारों से सतर्क रहें. इस माह राहु, शुक्र और केतु के सहयोग से गुप्त सहयोग प्राप्त होगा, भौतिक सुख-सुविधाएं मिलेंगी और मित्रों के सहयोग से सफलता प्राप्त होगी. श्री राम दरबार की पूजा-अर्चना से शनि के कुप्रभाव से मुक्ति मिलेगी.

सिंह (मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे): रोग भाव में शनि वक्री है, इसलिए सेहत पर खास ध्यान दें. बीमारियों पर खर्च संभव. इस माह में सूर्य का पूर्वार्ध में तथा शनि, बुध, गुरु और केतु का संपूर्ण समय सहयोग मिलेगा. कला और ज्ञान के क्षेत्र में सम्मान प्राप्त होगा. संजीवनी महावीर हनुमान की पूजा-अर्चना से राहत मिलेगी.

कन्या (ढो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो): पांचवें भाव में वक्री शनि के कारण संतान से विवाद से बचें, मित्रों-परिवारजनों से बहस नहीं करें. खर्च में वृद्धि संभव है. इस माह सूर्य, बुध, गुरु, केतु का पूरे समय, तो मंगल पूर्वार्ध में लाभप्रद हैं. कला-लेखन के क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त होगा, पराक्रम बढ़ेगा. अध्ययनरत महावीर हनुमान की पूजा-अर्चना से कष्ट समाप्त होंगे.

तुला (रा,री,रू,रे,रो,ता,ती,तू,ते): शनि ढैया के कारण परिवार में विवाद संभव, इसलिए संयम से कार्य करें. भौतिक संसाधनों का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाएगा, लेकिन इस माह सूर्य और मंगल उत्तरार्ध में, तो केतु संपूर्ण माह साथ देंगे, जिससे रक्त संबंधियों का सहयोग मिलेगा, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, आर्थिक आधार तैयार होगा. श्री राम दरबार पूजा-दर्शन से चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे.

वृश्चिक (तो,ना,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू): पराक्रम भाव में वक्री शनि के कारण विरोधी उभर सकते हैं, सतर्क रहें. आर्थिक मामले परेशान कर सकते हैं. हालांकि शनि, केतु और बुध के सहयोग के चलते शनि के कुप्रभावों में कमी आएगी और अपने पद-प्रतिष्ठा की रक्षा कर सकेंगे. श्री पताकाधारी महावीर हनुमान की सेवा-पूजा से तमाम बाधाएं समाप्त होंगी.

धनु (ये,यो,भा,भी,भू,धा,फा,ढा,भे): शनि की साढ़ेसाती चल रही है, इसलिए वक्री शनि के कारण भाषा में कड़वाहट आ सकती है, संचित धन खर्च हो सकता है और परिवार में विवाद की स्थितियां बन सकती हैं, इसलिए धैर्य से कार्य करें और वाद-विवाद से बचें. हालांकि, राहु और शुक्र के सहयोग के कारण गुप्त मदद मिल सकती है और भौतिक सुख-सुविधाओं का विस्तार भी हो सकता है. महावीर हनुमान परिवार की पूजा-अर्चना से लाभ मिलेगा.

मकर (भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,गा,गी): शनि की साढ़ेसाती में वक्री शनि के कारण शारीरिक-मानसिक कष्ट संभव, स्वयं के स्वास्थ्य पर ध्यान दें, हालांकि इस पूरे माह बुध, शुक्र, गुरु, केतु का और सूर्य का पूर्वार्ध में सहयोग मिलेगा, जिससे अनेक क्षेत्रों में पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी. भौतिक सुख मिलेगा, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होगा और कला के क्षेत्र में उपलब्धियों के योग बने हैं. आर्थिक लाभ के अवसर भी मिलेंगे. काले हनुमान की पूजा करें, कष्ट से मुक्ति मिलेगी.

कुंभ (गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,दा): शनि की साढ़ेसाती का असर है और ऐसे में वक्री शनि के कारण खर्च में बढ़ोतरी संभव है, विदेश यात्रा में सतर्क रहें. हालांकि, इस माह पूर्वार्ध में मंगल का और उत्तरार्ध में सूर्यदेव का सहयोग मिलेगा जिससे रक्त संबंधियों के सहयोग से पद-प्रतिष्ठा-पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे. सागर लांघते महावीर हनुमान की पूजा-अर्चना से अनेक लाभ प्राप्त होंगे.

मीन (दी,दू,थ,झ,ञ,दे,दो,चा,ची): एकादश भाव में वक्री शनि के कारण आय प्रभावित होगी, लेकिन विचलित नहीं हों, धीरे-धीरे हालात नियंत्रण में आ जाएंगे. आय के नए स्रोत भी मिल सकते हैं, परन्तु खर्च संभलकर करें. इस माह शनि, राहु, बुध, शुक्र, केतु पूरे समय और मंगल उत्तरार्ध में सहयोग करेंगे, जिसके कारण गुप्त सहयोग मिलेगा, कला-व्यवसाय के क्षेत्र में लाभ मिलेगा, धर्म-कर्म के क्षेत्र में सम्मान मिलेगा. श्री राम दरबार की पूजा-अर्चना से फायदा होगा, राहत मिलेगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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