प्रदीप द्विवेदी ((एस्ट्रो पॉलिटिकल एनालिसिस). लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान इन दिनों सियासी चक्रव्यूह में फंसे हैं और ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं कि सियासी समीकरण में कौन अपना है? कौन पराया है?
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही चिराग पासवान पर सियासी संकट के बादल गहराने लगे थे, लेकिन उनको अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से जूझते हुए अब कई सियासी चेहरे बदलते हुए नजर आ रहे हैं.
हालांकि, चिराग पासवान के विरोधी यह मानकर चल रहे हैं कि उनकी सियासी पारी समाप्त हो गई है, लेकिन ऐसा नहीं है, चिराग के हाथ की रेखाएं कह रही हैं कि पिच्चर अभी बाकी है!
दिलचस्प बात यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग के सियासी संकट पर भारतीय जनता पार्टी ने चुप्पी साध ली है, जबकि, चिराग को पीएम मोदी पर खासा भरोसा था.
हालांकि, अब खुद का एलजेपी पर दावा करते हुए चिराग पासवान का कहना है कि अगर पशुपति पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली, तो यह उन्हें मंजूर नहीं होगा.
ठीक है, मत करना मंजूर, परन्तु इससे बीजेपी की सियासी सेहत पर क्या असर पड़ जाएगा?
सियासी सयानों का मानना है कि अब भी चिराग के पास समय है और समय रहते कोई ठोस राजनीतिक निर्णय ले लेते हैं, तो अच्छा है, वरना देरी की तो उन्हें भी शत्रुघ्न सिन्हा की तरह नुकसान हो सकता है?
शत्रुघ्न सिन्हा भी लंबे समय तक इंतजार करते रहे और बाद में सियासी समीकरण ही उनके हाथ से निकल गया!
याद रहे, सियासत के लिए कहा गया है....
यहां कोई किसी को राह नहीं देता?
औरों को गिरा कर संभल सके, तो चल!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार में अनलॉक-3: नीतीश सरकार से जारी की नई गाइडलाइन, जानिए कहां मिली छूट
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