राजस्थान बीजेपी के लेटर बम से गरमाई राजनीति, 22 साल पुराना पत्र वायरल, पूनिया के पत्र में लिखे मजमून से हंगामा

राजस्थान बीजेपी के लेटर बम से गरमाई राजनीति, 22 साल पुराना पत्र वायरल, पूनिया के पत्र में लिखे मजमून से हंगामा

प्रेषित समय :21:04:43 PM / Mon, Jun 28th, 2021

जयुपर. भारतीय जनता पार्टी में चल रही आपसी खींचतान के बीच 22 साल पुराने एक लेटर ने हंगामा मचा दिया है. मौजूदाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का यह पत्र है. उन्होंने बीजेपी के फ्रंट ऑर्गेनाइजेशन भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के समय लिखा था. तत्कालीन बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष गुलाबंचद कटारिया को लिखा गया यह 3 पेज का लेटर सियासी हलकों में घूम रहा है. इसमें सतीश पूनिया ने बीजेपी के दिग्गज भैरो सिंह शेखावत, ललित किशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभड़ा पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था. साथ ही, राजेंद्र राठौड़ और राम सिंह कसवा जैसे नेताओं को भस्मासुर बताया था. सतीश पूनिया ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बार-बार टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर जुलाई 1999 में इस्तीफा दिया था.

सतीश पूनिया ने गुलाबचंद कटारिया को लिखा था- युवा मोर्चा जिलाध्यक्षों के जरिए मेरे प्रति पूरे प्रदेशभर के लोगों ने अपनी बात रखी थी. मुझे तो घोर आश्चर्य है कि इस बार के चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर प्रदेश में मंडल स्तर बड़े स्तर के कार्यकर्ता से लेकर आप तक पूरी तरह आश्वस्त थे. पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़ और राम सिंह कसवा के प्रबल समर्थक रहे हैं. दिल्ली जाने तक मुझे चुनाव लडऩे का स्पष्ट संकेत दे चुके थे. पूर्व उप मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा, पूर्व मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी भी मुझे लड़ाने के लिए आश्वस्त थे.

पूनिया ने लिखा- मुझे जो विश्वस्त जानकारी मिली है उसके अनुसार इन लोगों ने दिल्ली में पासा पलटा. भैरो सिंह शेखावत, ललित किशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभड़ा ने मेरी पीठ में छुरा घोंपकर प्रदेशभर के कार्यकताओं की छाती पर पैर रखकर टिकट कटवाया है. प्रदेशभर के कार्यकर्ता इस अपमान को सहने की स्थिति में नहीं हैं. इतने दिन तक लगातार उपेक्षा से मैं क्षुब्ध हैं. मैं इस मानसिकता में नहीं कि मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर बना रहूं.

संसदीय राजनीति के नाम पर पार्टी ने मेरी घोर उपेक्षा की

पूनिया ने लिखा था- मैं बुरे दिनों में पार्टी के साथ रहा और पार्टी के अच्छे दिनों में जिम्मेदारी छोड़ रहा हूं. मैंने अपनी क्षमता अनुसार पार्टी का काम करने का प्रयास किया है, लेकिन मैं महसूस कर रहा हूं कि संसदीय राजनीति के नाम पर पार्टी ने मेरी घोर उपेक्षा की है. मेरे मुकाबले बार-बार उन्हीं व्यक्तियों को तवज्जो मिलती रही है, जो परंपरागत रूप से इस विचारधारा के घोर विरोधी रहे. उन्होंने भाजपा के भीतर और बाहर रहकर कार्यकर्ता को प्रताडि़त किया है.

भस्मासुर ही आपकी पसंद क्यों?

सतीश पूनिया ने राम सिंह कसवा को भस्मासुर बताया था. 3 पेज के लेटर में आगे लिखा था- मुझ जैसे कार्यकर्ता को तैयार करने में आप बरसों लगा देते हैं और संसदीय राजनीति के नाम पर उसकी अवहेलना करके आपकी विचारधारा को पलीता लगाने वाले भस्मासुर ही आपकी पसंद होते हैं. यह वास्तव में शोध का विषय है. ऐसी बात नहीं है कि आपको अवगत नहीं कराया गया.

1999 में सतीश पूनिया का युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष से इस्तीफा मंजूर हुआ था

22 साल पहले सतीश पूनिया ने टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. जो लेटर अब सामने आया है, वह इस्तीफे के लिए लिखा था. तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पूनिया का इस्तीफा मंजूर कर लिया था. सतीश पूनिया के बाद जोधपुर के राघवेंद्र प्रताप सिंह को युवा मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. राघवेंद्र प्रताप के बाद प्रतापसिंह खाचरियावास युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने थे. प्रतापसिंह बाद में 2004 में कांग्रेस में चले गए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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