प्रदीप द्विवेदी. पिछले साल गुजरात में उपचुनाव के दौरान पल-पल इंडिया ने इस बात की ओर इशारा किया था कि गुजरात में अगले मुख्यमंत्री मनसुख भाई हो सकते हैं, हालांकि बदलाव की उम्मीद तो तभी की जा रही थी, लेकिन उपचुनाव के नतीजों नेे विजय रूपाणी की गद्दी बचा ली थी!
अब जबकि केंद्र में एक बार फिर मनसुख भाई ताकतवर बनकर उभरे हैं, तो फिर से उनके अगले सीएम बनने की सियासी चर्चाएं शुरू हो गई हैं?
पल-पल इंडिया की रिपोर्ट- गुजरात में उपचुनाव के बाद सियासी मनसुख रहेगा या नहीं? में कहा गया था कि.... गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के लिए सत्ता का समीकरण साधना आसान नहीं रहा है, क्योंकि, एक तो- इस वक्त केन्द्र सरकार में मौजूद दो बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह गुजरात से हैं, लिहाजा अपना सियासी कद बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं है, दूसरा- मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में जो राजनीतिक पकड़ नरेन्द्र मोदी ने बनाई है, ऐसी पकड़ बनाना उनके लिए बेहद मुश्किल है और तीसरा- मोदी और शाह से ज्यादातर नेताओं के सीधे संपर्क-संबंध हैं, इसलिए सख्त सियासी अनुशासन कायम करना भी आसान नहीं है.
अब मोेदी-शाह के विश्वासपात्र मनसुख भाई का सियास महत्व बढ़ने और ताकतवर होकर उभरने के बाद यह राजनीतिक चर्चा है कि अगले साल गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मनसुख भाई सीएम फेस हो सकतेे हैं.
याद रहे, गुजरात में सत्ता की चाबी पटेल समाज के हाथ में है और यही वजह है कि गुजरात में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए मोदी ने सरदार पटेल का सहारा लिया, पटेल समाज की नाराजगी गुजरात में मोदी टीम को भारी पड़ सकती है, शायद इसीलिए पटेल समाज के मनसुख भाई को सियासी तौर पर ताकतवर बनाया जा रहा है, ताकि अगले चुनाव में गुजरात में फिर सेे बीजेेपी कामयाबी का परचम लहरा सके?
देश के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र भटनागर ने मुकेश कौशिक की एक रिपोर्ट शेयर की है, जो कहती है कि- गुजरात ना राजकारण माटे तैयार कराई रह्या छेे!
लेकिन, सियासी सयानों का कहना है कि राजनीति में केवल सियासी समीकरण साधने से कुछ नहीं होता है, क्योंकि पाॅलिटिकल वेव की दिशा बदलना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है!
पल-पल इंडिया में 24 अक्टूबर 2020 के इसी एस्ट्रोपाॅलिटिकल एनालिसिस में उपचुनाव से पहले लिखा था- सीएम विजय रूपाणी की प्रचलित कुंडली पर भरोसा करें तो शनि की महादशा ने उन्हें सत्ता सुख तो दिलाया, लेकिन उतनी ही उलझने भी दी हैं, हालांकि, न्याय के देवता शनि ने उनके साथ सियासी अन्याय भी नहीं होने दिया है.
कुंडली के लग्न में मौजूद केतु अच्छे समय में कामयाबी का परचम लहराता रहेगा, तो खराब समय में खूब भागमभाग भी करवाएगा, यही नहीं, लग्न में चन्द्र भी मौजूद है, जो उनके भीतर की प्रतिक्रिया को चेहरे पर ले आता है. वहीं सियासी ग्रहण से उनका अक्सर सामना होता रहेगा, लेकिन उन पर नजर आने वाला सियासी संकट जितना दिखेगा, उतना असरदार नहीं होगा, पराक्रम भाव का सूर्य प्रतिष्ठा दिलाता रहेगा, तो कर्म भाव का मंगल उन्हें सियासी सेनापति बना कर रखेगा.
अगले तीन वर्ष अच्छे हैं, तो यह समय भी ठीक ही चल रहा है, लिहाजा कोई चमत्कार ही उन्हें सत्ता से बेदखल कर सकता है. लेकिन, उनका श्रेष्ठ सियासी समय तो वर्ष 2026 से शुरू होगा!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मनसुखभाई मांडविया के प्रमोशन के पीछे क्या भविष्य मे गुजरात की राजनीति में बदलाव की तैयारी है???? pic.twitter.com/jGXzBXDZzu
— Devendra Bhatnagar (@DevendraBhatn10) July 9, 2021
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