नजरिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और डॉ. हर्षवर्धन को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर क्यों होना पड़ा? यह बड़ा सवाल इस वक्त सियासी चर्चाओं का केंद्र है!
कुछ जानकारों का कहना है कि उनकी नाकामयाबी के कारण उन्हें हटाया गया है, लेकिन इस बात में कुछ खास दम इसलिए नहीं है कि इन तीनों से कहीं ज्यादा नाकामयाब मंत्री अभी भी मंत्रिमंडल में शान से बने हुए हैं?
वैसे, सवालिया निशान तो पीएम मोदी की कामयाबी पर भी है, लेकिन वे तो जज हैं! उन्हें कौन सजा सुनाएगा?
अब कहा जा रहा है कि इन पूर्व मंत्रियों की सेवाएं बीजेपी संगठन में ली जाएंगी?
किन्तु, प्रश्न यह है कि जिस तरह से इन्हें हटाया गया है, क्या ये उत्साह और आत्मविश्वास से संगठन का कार्य कर पाएंगे? यह भी हो सकता है कि इन्हें उन राज्यों का प्रभार सौंपा जाए, जहां निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं, पर वे प्रेस का सामना कैसे कर पाएंगे?
याद रहे, अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
मोदी चाहते तो इन मंत्रियों को सम्मानजनक विदाई भी दे सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, क्यों?
सियासी सयानों का मानना है कि लोकप्रियता के मामले में भी मोदी को एकाधिकार पसंद है, जाहिर है, इन तीनों पूर्व मंत्रियों की मीडिया में प्रभावी मौजूदगी ही इनके मंत्री पद की दुश्मन साबित हुई है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भूतपूर्व ट्रोल मंत्री अब भाजपा संगठन में ट्रोलिंग का काम करेंगे ! काम वही जगह नई ! pic.twitter.com/d8biSigLHH
— Rohan Gupta (@rohanrgupta) July 11, 2021
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