ढाका. पाकिस्तान और श्रीलंका से इतर पड़ोसी देश बांग्लादेश में चीन के दबाव या बहकावे में आने से साफ इन्कार कर दिया है. उसने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड को तो नजरअंदाज किया ही है, उसके कर्ज के जाल में फंसने से बचने के लिए बांग्लादेश ने अपने यहां मैक्रो-इकोनामिक मैनेजमेंट (व्यापक आर्थिक प्रबंधन) कर लिया है.
दक्षिण एशिया डेमोक्रैटिक फोरम (एसएडीएफ) की ओर से पालो कसाका ने आमतौर पर निश्चिंत रहने वाले बांग्लादेश प्रशासन को सावधान करते हुए कहा कि वह बीआरआइ में अपनी साझेदारी से भू-राजनीतिक निर्भरता का शिकार हो सकता है. चीनी निवेश से गहरे समुद्री बंदरगाहों में भावी चीनी नौसैनिक बेड़े को भी बांग्लादेश ने ठुकरा दिया है. उसने सोनादिया डीप सी प्रोजेक्ट को भी रद््द कर दिया है.
बांग्लादेश ने पायरा स्थित एक बंदरगाह के प्रोजेक्ट को ही रद्द किया है. इस स्थान पर केवल 75 किलोमीटर लंबी नहर के जरिये ही पहुंचा जा सकता है. इसीलिए यह नौसैनिक अड्डा बनाने के लिए मनमाफिक जगह है. बांग्लादेश ने विगत 15 अक्टूबर, 2016 को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में रहने का फैसला लिया था. जिस दौरान यह निर्णय लिया गया चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग बांग्लादेश दौरे पर थे. दोनों देशों ने तब रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर भी सहमति जताई थी. उस समय बांग्लादेश में चीन ने पाकिस्तान के बाद दूसरे स्थान पर सबसे बड़ा निवेश किया था.
चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार एसएडीएफ ने कहा कि वैश्विक महामारी के बावजूद भी चीनी निवेश में कोई कमी नहीं है. बल्कि यह धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है. विशेष आर्थिक जोन बनाने के अलावा पदमा नदी पर एक नई रेलवे क्रासिंग बनाने की भी योजना है. लेकिन इस परियोजना में कई बाधाएं हैं. पायरा पावर प्लांट को लेकर स्थानीय मजदूरों और चीनी प्रशासन के बीच संघर्ष जारी है
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू एयरबेस पर ड्रोन हमले के चश्मदीदों ने किया बड़ा खुलासा, पाकिस्तान पर गहराया शक
यूएई ने 15 जुलाई तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से स्थगित की उड़ानें
भारतीय उच्चायोग परिसर में ड्रोन की खबर को पाकिस्तान ने दुष्प्रचार करार दिया
Leave a Reply