नई दिल्ली. आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार को भाजपा के साथ समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है, जब उत्तर प्रदेश सहित पांच बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. चूंकि, यूपी चुनाव का महत्व केवल प्रदेश तक सीमित न रहकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालेगा, संघ परिवार इस बड़े प्रदेश में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है.
जमीनी स्तर पर मिल रहे फीडबैक को चुनावी रणनीति के रूप में ढालकर विजय तक पहुंचा जा सके, इस दृष्टि से तैयारियों को नया रूप देने की कोशिश हो रही है. अरुण कुमार की संघ और भाजपा के बीच एक सेतु के रूप में मिली नई जिम्मेदारी को इससे जोड़कर देखा जा रहा है.
दरअसल, पश्चिम बंगाल ने संघ परिवार को बहुत बड़ी सीख दी है. भाजपा ने पश्चिम बंगाल का किला फतह करने के लिए अपनी पूरी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन उसकी पूरी कोशिशों के बावजूद पार्टी 100 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई. यह एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की हार है, लेकिन वैचारिक स्वीकार्यता के दृष्टिकोण से यह संघ के हिंदुत्व की विचारधारा को बंगाल में स्थान न मिल पाने का प्रमाण भी हैं. बंगाल की हार ने संघ को भी अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए बाध्य किया है.
यूपी पर पूरे देश की निगाह
आरएसएस के एक नेता के मुताबिक, उत्तर प्रदेश वैचारिक मजबूती की दृष्टि से काफी अहम है. यहां पर हो रहे मंदिर निर्माण की दृष्टि से पूरे देश की निगाह इस प्रदेश पर लगी हुई हैं. पूरे देश में यह जनमत है कि राममंदिर के कारण जनता भाजपा और योगी आदित्यनाथ के साथ जुड़ रही है. अगर इस विचार के बीच उत्तर प्रदेश में कोई भी नकारात्मक परिणाम आता है तो उसका असर पूरे देश पर पड़ेगा, जो विचारधारा के लिहाज से बड़ा झटका साबित हो सकता है.
पंजाब जैसे राज्यों में वैचारिक विस्तार भी अहम
संभावना है कि बीएल संतोष का साथ देने के लिए संघ से कुछ अन्य पदाधिकारियों को भी भाजपा के साथ समन्वय के लिए जोड़ दिया जाए. इसमें अरुण कुमार के साथ कम से कम दो अन्य सहयोगियों को साथ लाया जा सकता है. शिवप्रकाश पहले ही सह-संगठन मंत्री के रूप में संघ से भाजपा में भेजे चा चुके हैं. इन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी देश के उन प्रदेशों में संघ के वैचारिक विस्तार को जगह देने की होगी जहां इस समय विचारधारा का प्रभाव कम है. इसमें पंजाब जैसे क्षेत्र अहम होंगे जहां अभी तक भाजपा अकाली दल के नेतृत्व में आगे बढऩे का काम करती रही है. बीएल संतोष की यह घोषणा कि भाजपा अपने दम पर पंजाब की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेग, इसी दृष्टि से देखा जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली तक मानसून पहुंचने में फिर देरी, हरियाणा-यूपी में बारिश की संभावना
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