प्रदीप द्विवेदी. यदि किसी को जनता को अच्छे दिनों के सपने दिखा कर वोट बटोरने की कला आती हो, प्रजातांत्रिक ठगी करके गायब हो जाने का जादू आता हो, तब ही उसे राजनीति में जाना चाहिए?
खबर है कि साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत ने फैसला लिया है कि वे राजनीति में नहीं जाएंगे!
यकीनन, यह बेहतर फैसला है, क्योंकि, रजनीकांत ने जो नाम कमाया है, यदि उसे सलामत रखना हो तो आज की राजनीति में उन्हें नहीं जाना चाहिए था और उन्होंने यही किया है.
रजनीकांत अच्छे इंसान हो सकते हैं, लेकिन अच्छा राजनेता बनना बहुत मुश्किल काम है और उनसे तो जनता बहुत उम्मीदें भी रखती है, लेकिन आज के राजनीतिक माहौल में वे जनता की उम्मीदों पर खरे कैसे उतरते?
वैसे भी अब दक्षिण भारत की राजनीति बहुत बदल चुकी है. कभी वहां की सियासत में सिनेमाई सितारों का दबदबा था, लेकिन अब सितारा युग समाप्त हो चुका है. कमल हासन का सियासी हश्र बताता है कि अब केवल सिनेमाई लोकप्रियता के दम पर राजनीति में कामयाबी नहीं पाई जा सकती है.
खबरों पर भरोसा करें तो रजनीकांत ने अपनी पार्टी को भी खत्म करने का ऐलान कर दिया है, अलबत्ता, पार्टी से जुड़े पदाधिकारी रजनीकांत फैन क्लब असोसिएशन का हिस्सा बने रहेंगे.
सियासी सयानों का मानना है कि रजनीकांत के राजनीति से दूर होने के कारण वैसे तो किसी दल को कोई खास फायदा-नुकसान नहीं होगा, लेकिन बीजेपी की दक्षिण भारत की सियासी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है!
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