डाॅ. हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर की राजनीतिक हत्या किसने की?

डाॅ. हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर की राजनीतिक हत्या किसने की?

प्रेषित समय :06:36:40 AM / Sun, Jul 11th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. केंद्रीय मंत्रिमंडल से रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों की विदाई कर दी गई है.

विपक्ष ने तो रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावड़ेकर पर भले ही सवालिया निशान लगा कर उनकी इमेज खराब करने की कोशिश की हो, लेकिन उनके अपनों ने तो उनके पॉलिटिकल करियर पर ही फुलस्टाप लगा दिया है!  

लिहाजा, बड़ा सवाल यही है कि डाॅ. हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर की राजनीतिक हत्या किसने की?

आईएएनएस-सीवोटर का सर्वे कहता है कि पूर्व मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को मोदी सरकार के मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने को लेकर ज्यादातर लोगों की राय है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है?

डॉ. हर्षवर्धन को हटाए जाने को लेकर सियासी चर्चा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वे ठीक से प्रबंधन नहीं कर पाए, लेकिन स्वयं पीएम मोदी तो पहले दिन से ही कोरोना गलतियां करते रहे हैं!

मतलब.... कोरोना के कहर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार तो स्वयं पीएम मोदी हैं?

लोगों का तो कहना है कि इसके लिए डॉ. हर्षवर्धन अकेले ही जिम्मेदार नहीं कहे जा सकते हैं!

इस सर्वे में 54 प्रतिशत लोगों का कहना है कि कोरोना काल में लोगों को हुई परेशानियों के लिए डॉ. हर्षवर्धन अकेले जिम्मेदार नहीं हैं, उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है?

इस सर्वे के तहत एक हजार से ज्यादा लोगों की राय ली गई है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक के सभी आयु वर्ग के लोगों की राय ली गई है.

उल्लेखनीय है कि डॉ. हर्षवर्धन दिल्ली के सबसे ज्यादा लोकप्रिय बीजेपी नेता रहे हैं, यदि उनके सीएम फेस पर बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा होता, तो शायद नतीजे कुछ और होते, किन्तु उन्हें अवसर ही नहीं दिया गया. बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी उनके प्रयासों में कोई कमी नहीं रही, जबकि टीवी पर प्रवचन से लेकर वैक्सीन वितरण तक के सारे फैसले तो स्वयं पीएम मोदी कर रहे थे?

याद रहे, पीएम मोदी अपने पहले कार्यकाल में सबसे ज्यादा परेशान शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों को लेकर थे, पीएम मोदी को उनसे सियासी मुक्ति रविशंकर प्रसाद ने ही दिलाई थी?

दिलचस्प बात यह है कि विपक्ष तो केवल इन मंत्रियों पर आरोप ही लगाता रहा, लेकिन मोदी सरकार ने तो उन आरोपों पर मुहर ही लगा दी है?

विपक्ष के आरोप तो समय के साथ खत्म भी हो जाते, लेकिन अब तो उनकी नाकामयाबी का स्थाई रिकार्ड बन चुका है!

सियासी सयानों का मानना है कि इन तीनों पूर्व मंत्रियों की योग्यता पर तो कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है, अलबत्ता इनकी लोकप्रियता इनके लिए जरूर परेशानी का सबब बनी है? शायद मीडिया में ये तीनों ज्यादा नजर आने लग गए थे!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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