डाॅ प्रदीप भटनागर के नजरिए से- मोदी की राजनीति और आज का कैबिनेट विस्तार!

डाॅ प्रदीप भटनागर के नजरिए से- मोदी की राजनीति और आज का कैबिनेट विस्तार!

प्रेषित समय :07:11:16 AM / Thu, Jul 8th, 2021

पल-पल इंडिया (व्हाट्सएप- 8875530336). देश के वरिष्ठ संपादक डाॅ प्रदीप भटनागर राजनीति की अच्छी समझ रखते हैं, खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति को उन्होंने बहुत करीब से देखा, समझा है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर उन्होंने अपने इसी सियासी अनुभव को- मोदी की राजनीति और आज का कैबिनेट विस्तार, में कुछ इस तरह से पेश किया है....

क्या सचमुच मोदी जी की राजनीति कांशीराम की राजनीति का परिष्कृत रूप है. यानी समाज के दलित, शोषित, वंचित और पिछड़े वर्ग को संगठित कर एक मजबूत राजनीतिक ताकत में बदलना. भारत ने पिछले सात वर्षों में मोदी जी की जो राजनीति देखी है, उसका लब्बोलुआब यही है.

कांशीराम जानते थे कि समाज का दलित, शोषित, वंचित और पिछड़ा वर्ग अपनी राजनीतिक पहचान पाने के लिए दिन रात मेहनत ही नहीं करता, धूप, बारिश और सर्दी में अपना काम छोड़कर वोट देने के लिए लाइन लगाता है, जबकि सवर्ण जातियां बात तो बड़ी बड़ी करतीं हैं, लेकिन वोट देने के लिए सबके साथ लाइन में खड़े होने से कतराती हैं.

सवर्ण जातियों की जातीय श्रेष्ठता का यह अहं यहीं खत्म नहीं होता. उनका अहं उन्हें अपनी ही जाति में अपने सिवा किसी अन्य को योग्य नहीं मानने देता. इसी से सवर्ण जातियों के हर घर में एक नेता होता है और हरेक दो एक जेबी संगठन का मुखिया होता है. समाज का वोकल सेक्शन होने के कारण वह मीडिया को मैनेज करके चर्चा में तो बना रहता है, लेकिन अपनी जाति और समुदाय तक के लिए कुछ ठोस नहीं करता.

यही कारण है कि सवर्ण जातियों को मैनेज करने के लिए अगर किसी जाति के नेता या संगठन से किसी राजनीतिक दल ने बात की तो उस जाति के अधिकांश लोग उस राजनीतिक दल से नाराज़ हो जाते हैं, जबकि दलितों, पिछड़ों में इसके ठीक उलटा होता है. इन वर्गों में ना तो ज्यादा संगठन हैं और ना ही नेता बनने की मारामारी.

कांशीराम समाज शास्त्री नहीं थे, लेकिन उन्होंने समाज को अपनी खुली आंखों से देखा समझा था. इसलिए उन्होंने राजनीति का परंपरागत आधार बदला. मोदी उसी राजनीति का परिष्कृत रूप हैं.

कांशीराम की तरह मोदी भी जानते हैं कि सवर्ण जातियां उनकी राजनीति से क्षुब्ध होती हैं तो महज अपने घर परिवार में और मीडिया में ही हल्ला मचा सकती हैं, वे दलितों, पिछड़ों की तरह किसी अन्य को वोट देने के लिए घंटों लाइन में खड़ी नहीं हो सकतीं. मोदी कैबिनेट का आज का विस्तार भी इसी तथ्य की पुष्टि करता है.

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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