नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की रफ्तार का संकेत देने वाले ‘आर-फैक्टर’ में क्रमिक रूप से वृद्धि हो रही है और इस संदर्भ में केरल तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के शीर्ष स्थान पर रहने से महामारी के फिर से सिर उठाने के बारे में चिंता बढ़ रही है. चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के अनुसंधानकर्तााओं के विश्लेषण में कहा गया है कि देश के दो महानगरों, पुणे और दिल्ली में ‘आर-वैल्यू’ एक के करीब है. आर-वैल्यू या संख्या, कोरोना वायरस के फैलने की क्षमता को प्रदर्शित करती है.
विश्लेषण के मुताबिक, जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तब देश में संपूर्ण आर- वैल्यू नौ मार्च से 21 अप्रैल के बीच 1.37 रहने का अनुमान था. यह 24 अप्रैल और एक मई के बीच घट कर 1.18 रह गयी तथा फिर 29 अप्रैल से सात मई के बीच 1.1 पर आ गयी. देश में नौ मई से 11 मई के बीच आर वैल्यू करीब 0.98 रहने का अनुमान जताया गया था. यह 14 मई और 30 मई के बीच घट कर 0.82 पर आ गयी और 15 मई से 26 जून के बीच गिर कर 0.78 हो गयी. हालांकि, आर-वैल्यू 20 जून से सात जुलाई के बीच फिर से बढ़ कर 0.88 हो गयी और तीन जुलाई से 22 जुलाई के बीच और बढ़ कर 0.95 हो गयी.
गणितीय विज्ञान संस्थान में अनुसंधान टीम का नेतृत्व करने वाले सीताभ्र सिन्हा ने कहा, ‘‘एक विश्वसनीय अनुमान पाने के लिए भारत के उपचाराधीन मरीजों की संपूर्ण संख्या में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है, लेकिन आंकड़े एक करीब मान (वैल्यू) रहने की ओर इशारा कर रहे हैं. आने वाले दिनों में यह ऊपर या नीचे जा सकता है. ’’
क्या हैं आर-वैल्यू के घटने-बढ़ने के मायने
आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो, इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी, जिसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं. आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा. इसके उलट, यदि ‘आर’ एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी–तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-त्योहारी सीज़न से पहले गृह मंत्रालय की राज्यों को चिट्ठी, कोरोना के R फैक्टर पर रखें नजर
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