घर के वास्तु और कारखाने के वास्तु मे जमीन आसमान का अंतर होता है,घर मे उधोग धंधे या मशीनी कार्य नही होते, वही कारखाने मे मशीनी कार्य तथा अन्य श्रम जन्य कार्य अधिकता से होते है,कारखानों मे शनि मंगल का ज्यादा प्रभाव होता है जबकि घरों मे शनि मंगल के प्रभाव को न्यूनतम किया जाता है, इसलिए जब भी हम किसी कारखाने की स्थापना करते है तो इन दिशाओं का भरपूर उपयोग करते है.
*उत्तर दिशा मे हो लेखा विभाग तथा प्रबंधन के कार्यालय*-कारखाने के उत्तर दिशा मे फेक्ट्री का लेखा विभाग या प्रबंधन कार्यालय होना चाहिए,कैशियर का मुह उत्तर दिशा मे होना चाहिए, जितनी भी लेखा कार्य और कंपनी से जुड़े अन्य कार्य करने वाले विभाग हो उनका मुह भी उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
*मशीन दक्सिन दिशा मे हो*- कारखाने की सभी बड़ी और भारी मशीनें दक्सिन दिशा मे होना चाहिए,दक्सिन दिशा मे मशीनों की सही स्थापना कारखाने के सुचारु उत्पादन के लिए विशेष लाभकारी होता है.
*नैरात्य मे हो स्टोर रूम, गोदाम, शौचालय*-कारखाने की नैरात्य दिशा मे कबाड़, गोदाम और शौचालय आदि बना सकते है,डंपिंग ग्राउंड भी इस दिशा मे होना चाहिए.ये दिशा दिवाल द्वारा बन्द होना चाहिए.
*उत्तर और ईशान दिशा मे बगीचा या मंदिर हो*- कारखाने की यह दिशा, अतिथियों के मीटिंग रूम,गार्डन, मंदिर आदि के लिए होना चाहिए,साथ ही यह क्षेत्र खुला और हवादार होना चाहिए.
*कारखाने की भट्टी और बायलर*- इनकी दिशा आग्नेय कोण मे होना चाहिए, जिससे आग्नेय कोण के उत्तम परिणाम आपको मिलते रहे.
*कारखाने के वास्तु मे अन्य ध्यान देने वाली बाते*-
*कारखाने का मुख्य प्रवेश द्वार* अगर आपकी जमीन उत्तर मुखी है, तो अपने उद्योग के मुख्य दरवाजे को उत्तर-पूर्व दिशा में और अगर जमींन दक्षिण मुखी है, तो मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में और अगर जमींन की दिशा पश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम की ओर होना चाहिए।
*कारखाने मे भूमि का झुकाव*- भूमि का झुकाव् दक्षिण से उत्तर की ओर और पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए.
*कारखाने के सुरक्षा गार्ड* - कारखाने या फैक्ट्री के सुरक्षाकर्मी का कमरा उत्तरी द्वार पर पूर्व मुखी, पूर्वी द्वार में उत्तर मुखी, पश्चिमी द्वार में उत्तर मुखी होना चाहिए।
*कारखाने मे वाहन रखने का स्थान*- कारखाने या फैक्ट्री में गाडिय़ों के पार्र्किंग की दिशा उत्तर-पूर्व में होनी चाहिए,फैक्ट्री के अंदर यदि पानी का कुंआ, बोर या जमींन के अंदर पानी की टंकी है तो उसे ईशान कोण यानि उत्तर और पूर्व दिशा के बीच रखना लाभदायक होता है.
*पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु"*
9893280184,7000460931
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