एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा महिला जेल कब तक

एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा महिला जेल कब तक

प्रेषित समय :21:06:39 PM / Tue, Aug 3rd, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. देश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदी होने व पैरोल पर रेप सहित अन्य गंभीर मामलों के आरोपियों को न छोडऩे की जनहित याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय शुक्ला की युगल बैंच ने राज्य सरकार से पूछा कि प्रदेश में महिला जेल को लेकर क्या योजना है, गौरतलब है कि प्रदेश में एक भी महिला जेल नहीं है, कोर्ट ने अगली सुनवाई 25 अगस्त नियत की है.

                               नागरिक उपभोक्ता मंच के डा. पीजी नाजपांडे व  रजत भार्गव की ओर से रेप सहित गंभीर प्रकरणों के आरोपियों को पैरोल पर न छोडऩे संबंधी याचिका लगाई है. सुनवाई के दौरान शासकीय उप महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया. वर्चुअल सुनवाई के दौरान जेल विभाग के मुख्य सचिव भी शामिल हुए. कोर्ट मित्र संकल्प कोचर ने 69 पेज का जेल बंदियों का डाटा पेश किया. जिसमें छोटे बच्चे से लेकर हर उम्र व अपराध के अनुसार पूरा विवरण पेश किया गया है. कोर्ट मित्र की ओर से बताया गया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद अभी महज 20 प्रतिशत बंदी ही पैरोल पर छोड़े गए. जबकि जेलों में अब भी क्षमता से अधिक बंदी हैं. छिंदवाड़ा में तो जेलर की कोविड से मौत तक हो चुकी है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रदेश में महिला जेल बनाने की जरूरत महसूस की और इसे लेकर राज्य सरकार से प्लान पूछा है. अभी महिलाओं का सिर्फ अलग बैरक है. महिला जेल होने पर वहां के बंदी और अधिकारी भी महिलाएं होंगी. महिलाओं और उनके बच्चों के लिए जेल में कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने में आसानी होगी. जेल सुधार को लेकर सरकार को 25 अगस्त तक जवाब पेश करना है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर जेल से पैरोल पर बंदियों को छोड़ा जा रहा है, लेकिन कोई गाइडलाइन नहीं तय होने से रेप और जघन्य वारदातों के आरोपियों को छोड़ा जा रहा है.

हवाला दिया कि मुरैना में इसी तरह रेप के एक आरोपी पैरोल पर छोड़े जाने के बाद पीडि़ता की हत्या कर चुका है.डिविजन बेंच ने इस पर संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद हर जिले में हाईकोर्ट की देखरेख में एक हाईपावर कमेटी बनाई गई है. एमपी में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी बनी है. कमेटी ने पूर्व में आदतन अपराधियों को पैरोल पर न छोडऩे का प्रावधान तय किया है. वहीं रेप व  जघन्य मामलों के आरोपियों को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान न होने से ऐसे आरोपी भी पैरोल का लाभ पा जा रहे हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले में गाइडलाइन तय करने के लिए राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को तय की है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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