कोलकाता. बंगाल की मिठाइयां पसंद करने वाले लोगों के लिए कोरोनाकाल में अच्छी खबर आई है. यहां की दो और मिठाइयों को त्रढ्ढ टैग मिल सकता है. बंगाल सरकार ने 4 साल पहले इन दोनों मिठाइयों को त्रढ्ढ टैग दिए जाने के लिए आवेदन किया था. अब बंगाल सरकार और यहां के लोगों का इंतजार खत्म हो सकता है. जल्द ही सरभजा और सरपुरिया को त्रढ्ढ टैग दिया जा सकता है. ये मिठाइयां कृष्णनगर और नादिया जिले में ज्यादा बनाई और खाई जाती हैं. इससे पहले बंगाल के रसगुल्ले को त्रढ्ढ टैग मिल चुका है.
क्या है जीआई टैग
जीआई टैग का पूरा नाम जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग है. यह टैग किसी भी चीज को किसी खास जगह की पहचान देता है. यह टैग किसी भी प्रोडक्ट को उसकी भौगोलिक पहचान दिलाता है. रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट-1999 के तहत भारतीय संसद में जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स लागू किया गया था. यह टैग किसी राज्य के किसी खास भौगोलिक परिस्थितियों में पाई जाने वाली वस्तुओं के लिए विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार देता है. किसी भी चीज को ढ्ढत्र टैग मिलने के बाद उस खास क्षेत्र के अलावा उस चीज का उत्पादन नहीं किया जा सकता है. कड़कनाथ मुर्गे के लिए मध्यप्रदेश को जीआई टैग मिला हुआ है.
2017 में रसगुल्ले को मिला था जीआई टैग
साल 2017 में पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को जीआई टैग दे दिया गया था. इसके बाद उड़ीसा ने इस पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद उड़ीसा को रसगुल्ले से जुड़े तथ्य और इस बात के सबूत पेश करने के लिए कहा गया कि रसगुल्ला वहां की पारंपारिक मिठाई है. उड़ीसा के तथ्यों और सबूतों को देखने के बाद साल 2019 में भौगोलिक संकेतक के रजिस्ट्रार चेन्नई ने एक प्रमाणपत्र जारी किया, जिसमें वस्तुओं के भौगोलिक संकेत के कानून के तहत मिठाई को ओडिशा रसगुल्ला लिखा गया. उड़ीसा का यह प्रमाण पत्र 22 फरवरी 2028 तक मान्य रहेगा. अब सरभजा और सरपुरिया को भी त्रढ्ढ स्टेटस मिल सकता है.
क्या है सरभजा
सरभजा एक नरम मिठाई है, जिसे मलाई के साथ परोसा जाता है. इसे घी में तला जाता है और फिर चासनी में डुबोकर कटे हुए बादाम और पिस्ता में मिलाया जाता है. हालांकि, यह मिठाई बंगाल की सभी दुकानों में नहीं मिलती है, पर खास मौकों पर इसे बड़ी मात्रा में मंगाया जाता है. खासकर जगदात्री पूजा, लोकनाथ बाबा पूजा, काली पूजा और जन्माष्टमी के मौकों पर इसे ज्यादा पसंद किया जाता है.
क्या है सरपुरिया मिठाई
सरपुरिया मिठाई भी सरभजा की तरह ही बनाई जाती है, लेकिन दोनों में फर्क इतना है कि इसे फ्राई करने की बजाय भूना जाता है. इसमें खीर, छेना और मलाई मुख्य तत्व हैं. इसे भी कई त्योहारों के समय बड़ी मात्रा में बनाया जाता है और इसकी काफी मांग होती है. कोलकाता में दोनों मिठाइयां 25 रुपये प्रति नग की कीमत पर बेची जाती हैं, जबकि कृष्णनगर में ये मिठाइयां बड़ी मात्रा में मिलती हैं और इनकी कीमत भी कम होती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पश्चिम बंगाल: टीएमसी के भरतपुर विधायक ने रेजीनगर विधायक को दी हड्डियां तोड़ने की धमकी
पश्चिम बंगाल में 15 अगस्त तक बढ़ाये गये कोरोना प्रतिबंध
कोयला घोटाले को लेकर सीबीआई ने बंगाल, ओडिशा और यूपी सहित 15 जगहों पर छापेमारी की
कोयला घोटाले को लेकर सीबीआई ने बंगाल, ओडिशा और यूपी सहित 15 जगहों पर छापेमारी की
पीएम मोदी से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में की मुलाकात
Leave a Reply