काबुल. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर चार लोगों में से एक है जिसने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी. अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के बाद तालिबान की कमान जिन लोगों को सौंपी जाएगी, उनमें मुल्ला बरादर एक है. तालिबान ने उन्हें भावी राष्ट्रपति घोषित किया है. आइये जानते हैं कौन है मुल्ला बराबर.
तालिबान अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर हमले के बाद 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को घुटने पर लाने के बाद मुल्ला बराबर ने आतंकवाद की कमान संभाल ली. वह हालांकि ज्यादा दिनों तक आजाद नहीं रह सका. उसे फरवरी, 2010 में गिरफ्तार किया गया. उसको पाकिस्तानी शहर कराची से अमेरिका -पाकिस्तान के संयुक्त अभियान में पकड़ा गया.
2012 के अंत तक मुल्ला बरादर के बारे में बहुत कम चर्चा होती थी. हालांकि उसका नाम तालिबान कैदियों की सूची में सबसे ऊपर था, जिन्हें शांति वार्ता को प्रोत्साहित करने के लिए अफगान रिहा करना चाहते थे.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने 21 सितंबर को मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि उसे पाकिस्तान में रखा जाएगा या फिर किसी तीसरे देश में भेजा जाएगा. मुल्ला बरादर की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि गिरफ्तारी के समय उसे तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक माना जाता था. इसके साथ ही उसको दूसरा-इन-कमांड भी कहा जाता था. वह उन प्रमुख आतंकियों में से एक है जो अमेरिका और अफगान सरकार के साथ बातचीत का समर्थन करता है.
समझौते को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच 2018 से ही बातचीत हो रही थी. फरवरी, 2020 में इसके नतीजे के तौर पर दोनों पक्षों ने एक शांति समझौता किया. इसमें तय हुआ कि अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं को वापस बुलाएगा और तालिबान अमेरिकी सेनाओं पर हमला रोक देगा. समझौते के अन्य वादों के मुताबिक तालिबान, अल-कायदा और अन्य आतंकी संगठनों को अपने नियंत्रण वाले इलाकों में पनपने नहीं देगा और अफगान सरकार से शांति स्थापित करने के लिए बातचीत करेगा. अमेरिका ने समझौते के तहत सेनाओं की वापसी शुरू की, लेकिन तालिबान ने शांति समझौते को ताक पर रखते हुए अफगानिस्तान के इलाकों पर कब्जा शुरू कर दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर तालिबान का कब्जा
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