-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
इस युग में देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद सभी को चाहिए. देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अनेक पूजा-व्रत हैं. ऐसा ही उत्तम व्रत है- वरलक्ष्मी व्रत!
धन की देवी वरलक्ष्मी, लक्ष्मी का द्वितीय अवतार मानी जाती हैं. यह व्रत सुहागन महिलाएं बड़े ही उत्साह से करती हैं क्योंकि जैसा कि कहा गया है यह देवी लक्ष्मी द्वारा वर प्रदान करनेवाला प्रमुख उत्सव है!
दक्षिण भारत में वरलक्ष्मी व्रत विशेष रूप से लोकप्रिय है. यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा पति के शुभ-मंगल, कार्य-व्यवसाय एवं लम्बी आयु के लिए किया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से संतान सुख प्राप्त होता है.
ऐसे करें वरलक्ष्मी व्रतपूजा-
* महिलायें इस दिन सवेरे जल्दी उठकर पवित्र स्नान करती हैं और देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए श्रृंगार करती हैं.
* देवी लक्ष्मी को उत्तम आसन पर प्रतिष्ठित करके देवी का श्रृंगार करते हैं.
* देवी लक्ष्मी की पूजा-प्रसाद- श्रृंगार के लिए सामग्री इस प्रकार है- हल्दी, कुमकुम, चंदन, फूल, फल, लाल वस्त्र, पान पत्ते, श्रीफल- नारियल, चावल, चना, मिष्ठान्न आदि.
* सर्वप्रथम श्रीगणेशदेव की पूजा-आराधना की जाती है.
* देवी लक्ष्मी की मूर्ति को पूजा के स्थान पर प्रतिष्ठित करने के बाद पूजा के स्थान पर चावल अर्पित करें.
* श्री कलश लें और उसके चारों ओर चन्दन लगाकर उसमें आधे ऊपर चावल भर लें और फिर इसमें पान पत्ते, खजूर और चाँदी का सिक्का रखें.
* श्रीकलश पर श्रीफल- नारियल रखें और श्रीफल के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं और देवी लक्ष्मी के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित कर पूजा-अर्चना करें.
* पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और देवी लक्ष्मी के भक्ति गीत आयोजित करें.
* जितनी पवित्र भावना और पवित्र उद्देश्य से देवीलक्ष्मी की पूजा करेंगे उतनी ही जल्दी देवी वरलक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी
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