अक्सर ऐसा होता है कि आप अपने प्रिय-प्रियतमा से बहुत अच्छे से बात-व्यवहार करने को सोचते हैं पर अचानक ऐसी परिस्थितियां जन्म ले लेती हैं कि प्रेमालाप वाकयुद्ध में बदल जाता है और विवाद शुरू हो जाता है.प्रेमियों के फोन कट हो जाते हैं,दम्पत्तियों के बीच बात-चीत बंद हो जाती है.
जीवन की हर घटना ज्योतिषीय प्रभाव से बंधी होती है.भले ही आप युगलों के बीच की लड़ाई को गलतफहमी के कारण समझें किंतु ग्रहों का दुष्प्रभाव भी विचारणीय होता है.
आइए जानते हैं किन स्थितियों के कारण अक्सर ऐसी अप्रीतिकर स्थितियाँ प्रेमियों-दम्पत्तियों के बीच हो जाती है.
एकदम बेसिक सी बात यह है कि जन्मपत्रिका में सप्तम भाव दांपत्य भाव होता है,पंचम भाव प्रेम भाव होता है.
दाम्पत्य संबंधी बातों का विचार सप्तम से तो वहीं लव-अफेयर्स संबंधित बातों का विचार पंचम भाव से करते हैं.
इसके साथ ही दाम्पत्य सुख/प्रेम के सुख का कारक ग्रह शुक्र होता है.इसे भी ध्यान देना आवश्यक है.इसके अलावा पंचमेश/सप्तमेश अर्थात इन भावों के स्वामियों की स्थिति भी अत्यंत आवश्यक है.
कुछ प्रमुख योग ऐसे हैं जब दाम्पत्य जीवन में /प्रेम संबंधों में तनाव हो ही जाता है.
1- दाम्पत्य /प्रेम भाव पर शनि,राहु,केतु आदि का दुष्प्रभाव
2-सप्तमेश/पंचमेश आदि पर क्रूर ग्रहों का दुष्प्रभाव, युति,दृष्टि ,नक्षत्र प्रभाव आदि.
3-शुक्र पर बुरे ग्रहों विशेषकर राहु,शनि का दुष्प्रभाव
4-सप्तमेष का नीच राशि,अष्टम,षष्टम आदि त्रिक भावों में होना.
5-मांगलिक दोष का प्रभाव
6-सप्तम,पंचम भाव से बना कालसर्प/शापित दोष इत्यादि.
यह प्रमुख कारण हैं जब प्रेम संबंधों में खटास किसी न किसी कारण आ ही जाती है.
इन ग्रह दोषों का उपाय कर आप उपर्युक्त समस्याओं से अवश्य निजात पा सकते हैं.ग्रह योग आपके पूर्व में प्रारब्ध में किये गए कर्मों का ही परिणाम हैं जो आपको भोगने होते हैं पर यदि परमात्मा से और उन संबंधित ग्रहों से प्रार्थना की जाए तब यदि वह चाहें तो कष्ट से मुक्त कर देते हैं.
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