नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एक संस्थान की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आशंका जताई है कि देश में सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है. रिपोर्ट में टीकाकरण की रफ्तार को और तेज़ करने का सुझाव दिया है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने यह भी कहा है कि बच्चों को वयस्कों के समान जोखिम होगा क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की स्थिति में बाल चिकित्सा अस्पताल, डॉक्टर और उपकरण जैसे वेंटिलेटर, एम्बुलेंस आदि की उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं हो सकती है .
प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सिर्फ 7.6 फीसदी (10.4 करोड़) लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण किया गया है और अगर वर्तमान टीकाकरण दर में वृद्धि नहीं की गई तो भारत में महामारी की अगली लहर में प्रति दिन छह लाख मामले आ सकते हैं. रिपोर्ट कहती है, प्रमुख विशेषज्ञों ने बार-बार भारत में कोविड-19 की आसन्न तीसरी लहर की चेतावनी दी है. महामारी विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि जब तक हममें टीकाकरण या संक्रमण के जरिए व्यापक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो जाती, तब तक मामले बढ़ते रहेंगे.
अक्टूबर में आ सकती है तीसरी लहर की पीक
एनआईडीएम की रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के अनुमान का हवाला दिया गया है जो तीसरी लहर को लेकर तीन संभावित परिदृश्यों का सुझाव देता है. उसने कहा कि पहले परिदृश्य में, तीसरी लहर अक्टूबर में चरम पर पहुंच सकती है और रोज़ाना 3.2 लाख मामले आ सकते हैं. दूसरे परिदृश्य में, वायरस का नया और अधिक संक्रामक स्वरूप सामने आ सकता है और तीसरी लहर सितंबर में चरम स्थित पर पहुंच सकती है तथा प्रतिदिन पांच लाख मामले आने का अंदेशा है.
विशेषज्ञों ने तीसरे परिदृश्य में आशंका व्यक्त की है कि तीसरी लहर की चरम स्थिति अक्टूबर के अंत में आएगी और रोज़ दो लाख मामले आ सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, उसने प्रस्तावित किया था कि अगर 67 फीसदी आबादी में वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता (कुछ में वायरस के जरिए और शेष में टीकाकरण के जरिए) विकसित हो जाती है तो बड़े पैमाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को हासिल करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.
उसने कहा कि सार्स कोव-2 के नए और अधिक संक्रामक स्वरूप सामने आने के बाद यह जटिल हो गया है, क्योंकि वायरस के इन स्वरूपों में पहले हुए संक्रमण से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता से बचने की क्षमता है, साथ में कुछ मामलों में यह मौजूदा टीकों से भी बच सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस वजह से 80-90 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने पर ही बड़े पैमाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का लक्ष्य हासिल किया सकता है.
बच्चों के लिए हो सकता है खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन व्यापक आशंकाओं का समर्थन करने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं कि महामारी की तीसरी लहर में बच्चे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. उसमें कहा गया है कि बच्चों के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि भारत में अब तक (अगस्त के पहले हफ्ते) बच्चों के लिए किसी टीके को मंजूरी नहीं दी गई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली दरबार पहुंचा छत्तीसगढ़ कांग्रेस का झगड़ा, मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं सिंहदेव
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