हिन्दू धर्म में बृहस्पतिवार के दिन श्री हरी विष्णु की पूजा की जाती है. माना जाता है इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरी का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जल्द शादी करने की इच्छा रखे वालो के लिए भी ये व्रत बहतु लाभदायक होता है. अग्निपुराणानुसार अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारंभ करके सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
इसके अलावा घर में सुख शांति और श्री विष्णु भगवान् का आशीर्वाद भी मिलता है. लेकिन केवल पूजन करने और व्रत रखने से सम्पूर्ण फल नहीं मिलते. पूर्ण फल के लिये बृहस्पति देव की विधि और भाव से पूजा
करना भी आवश्यक है. व्रती की सुविधा के लिये हम श्री बृहस्पति देव की पूजा और उद्यापन विधि क्रम से बता रहे है आशा है आप इससे लाभान्वित होंगे.
बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि एवं नियम
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु जी एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, कुवारी लडकियां इस व्रत को इसलिए करती हैं जिससे की उनके विवाह में आने वाली रुकावटें दूर हो जाएगी. ऐसा कहा जाता है की अगर आप 1 वर्ष में गुरुवार का व्रत करते हैं तो आपके घर में कभी भी पैसे रुपयों की कमी नही होती और आपका पर्स कभी खली नही होता. आपको एक वर्ष में 16 गुरुवार व्रत करने चाहिए. 16 गुरुवार व्रत करने से आपको मनोवांछित फल मिलते हैं और व्रत पूरे करके 17वें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए.
गुरुवार व्रत को शुरू करने का शुभ समय
पूष या पौष के महीने को छोड़कर जो कि दिसम्बर या जनवरी में आता है को छोड़कर आप इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से शुरू कर सकते हैं. शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय होता है किसी भी नए कार्य को शुरू करने का. अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात या 16 गुरुवार करना चाहिए.
व्रत करने की विधि
इस व्रत की विधि के लिए आपको बहुत ही कम सामग्री चाहिए होगी जैसे की चने की दाल, गुड़, हल्दी, थोड़े से केले, एक उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो और अगर केले का पेड़ हो तो बहोत ही अच्छा है.
व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर सबसे पहले आप भगवान के आगे बैठ जाइये, और भगवान को साफ करने के पश्चात चावल एवं पीले फूल लेकर 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प करिए .
एवं भगवान विष्णु जी को छोटा पीला वस्त्र अर्पण करिए और अगर केले के पेड़ के सामने पूजा कर रहें हैं तो भी छोटा पीला कपड़ा चढ़ाइए.
आज कल लोगों के घर छोटे होते हैं तो आम तौर पर उनके घरों में केले का पेड़ नहीं होता इसलिए आप अपने घर के मंदिर में ही व्रत की विधि कर सकते हैं.
एक लोटे में जल रख लीजिये उसमे थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान जी या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए.
अब उसी लोटे में गुड़ एवं चने की दाल डाल के रख लीजिये और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी पे चढ़ा दीजिये.
तिलक करिए भगवन का हल्दी या चन्दन से, पीला चावल जरुर चढ़ाएं, घी का दीपक जलाये, कथा पढ़िए.
कथा के बाद उपले पे हवन करिए, गाय के उपले को गर्म करके उसपे घी डालिए और जैसे ही अग्नि प्रज्वलित हो जाये उसमे हवन सामग्री के साथ गुड़ एवं चने की भी आहुति देनी होती है, 5, 7 या 11 ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ, हवन के बाद आरती कर लीजिये.
और अंत में क्षमा प्रार्थना करिए, पूजा पूरी होने के बाद आपके लोटे में जो पानी है उसे अपने घर के आस पास के केले के पेड़ पे चढ़ा दीजिये.
इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि इस दिन आप केले के पेड़ की पूजा करते हैं इसलिए गलती से भी केला न खाएं आप इसे केवल पूजा में चढ़ा सकते हैं एवं प्रसाद में बाट सकते हैं, अगर कोई गाय मिले तो उसे चने की दाल और गुड़ जरुर खिलाएं इससे बहोत पुण्य मिलता है.
पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं परन्तु महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों में यह व्रत नही करना चाहिए.
गुरुवार व्रत की उद्यापन विधि
उद्द्यापन के एक दिन पहले 5 चीजें लाकर रख लीजिये- चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला कपड़ा और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा रख दीजिये.
फिर गुरुवार के दिन हर व्रत की तरह यथावत पूजा के बाद प्रार्थना करिए की आपने संकल्प के अनुसार अपने व्रत पूरे कर लिए हैं और भगवान आप पर कृपा बनाये रखें, और आज आप पूजन का उद्यापन करने जा रहे हैं .
इसके पश्चात पूजा में ये सारी सामग्री भगवान विष्णु को चढ़ाकर किसी ब्राह्मण को दान करके उनका आशीर्वाद लीजिये.
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए. इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए. मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए. भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है.
इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए. इसके बाद फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए. प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए. शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए.
गुरुवार व्रत का फल
गुरुवार का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से करने पर व्यक्ति को गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है तथा गुरु कृपा प्राप्त होती है. इन दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है. व्रत करने वाले जातक को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन बाल न कटाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं.
बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि के लिए आवश्यक सामग्री:
धोती – 1 जोड़ा
पीला कपड़ा – 1.25 मीटर
जनेउ – एक जोड़ा
चने की दाल – 1.25 किलो
गुड़ – 250 ग्राम
पीला फूल, या फूल माला
दीपक – 1
घी – 250 ग्राम
धूप – 1 पैकेट
हल्दीपाउडर – 1 पैकेट
कपूर – 1 पैकेट
सिंदूर – 1 पैकेट
बेसन के लडू – 1.25 किलो
मुन्नका (किशमिश) – 25 ग्राम
कलश – 1
आम के पत्ते
सुपारी
श्रीफल
पीला वस्त्र
केला
विष्णु भगवान की मूर्ति
केले का पेड़
बृहस्पति व्रत उद्यापन विधि:
1. इस व्रत का उद्यापन करने के लिए सुबह समय से उठकर तैयार हो जाएँ, और पूजा घर में गंगाजल को छिड़क कर अच्छे से साफ़ कर लें.
2. और ध्यान रखें की पीले वस्त्र ही पहने.
3. पूजा घर को साफ करने के बाद या अलग से आसान लगाकर उस पर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें.
4. उसके बाद मंदिर या अपने घर के आस पास स्थित केले के पेड़ की पूजा अर्चना करें, जल चढ़ाकर दीपक जलाएं.
5. फिर षोडशोपचार पूजन विधि से विष्णु जी का पूजन करे.
6. अब घर आकर या वही बैठकर कथा करें.
7. उसके बाद प्रसाद लोगो में बाटें.
8. उसके बाद श्री हरी के मंत्रो का उच्चारण करके यदि कोई गलती हुई तो उसके लिए माफ़ी मांगे.
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