नजरिया. नए कृषि कानून तो किसान आंदोलन के कारण मोेदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन ही गए हैं, एमएसपी पर कानूून की मांग ने एक उलझन और बढ़ा दी है?
बड़ा सवाल यह है कि जब मोदी सरकार एमएसपी जारी रखने की बात करती है, तो फिर कानून क्यों नहीं बनाती? मतलब साफ है- कानून बन गया तो एमएसपी किसानों का हक बन जाएगा, किसी सरकार की मनमानी नहीं चलेगी और न ही कारोबारी, किसानों की मजबूरी का फायदा उठा पाएंगे!
याद रहे, किसान संसद में लाभकारी एमएसपी.... न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गहन मंथन किया गया था और मौजूदा प्रावधानों में संशोधन के साथ किसान हित को ध्यान में रखते हुए एक विधेयक पेश करने का प्रस्ताव किसान संसद में पारित किया गया था.
खबरें थीं कि इस किसान संसद में ये प्रस्ताव पारित हुए....
* केंद्र सरकार एमएसपी पर एक विधेयक पेश करे.
* राष्ट्रीय किसान आयोग की ओर से सी-2 पर कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक लाभकारी मूल्य हो.
* सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी मिले.
* यही नहीं, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की प्रगतिशील सिफारिशों को लागू करने, कृषि भूमि के अधिग्रहण की रोकथाम, किसान आयोग की रिपोर्ट में किसानों की परिभाषा के अनुसार सभी किसानों की पहचान, किसानों को पेंशन, प्रभावी और पर्याप्त फसल बीमा, सभी किसानों को आपदा मुआवजा देने की सिफारिश की गई.
देखना होगा कि केंद्र सरकार, किसानों की एमएसपी कानून की जायज मांग को कब तक टालती है?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1426936853312139265
Loading...Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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