झांसी. उत्तर प्रदेश के झांसी में ब्राह्मण वोटों को अपने पाले में लाने के लिए आयोजित बसपा का प्रबुद्ध सम्मेलन फ्लॉप शो साबित हुआ. इस सम्मेलन में ब्राह्मणों की तादाद उंगलियों पर गिनने लायक रही. जबकि बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की समधन अनुराधा शर्मा की नामौजूदगी भी कई सवाल खड़े कर गई है. जब इस बारे में बसपा के दिग्गज नेता से सवाल किया गया तो वह तिलमिला गए.
दरअसल, झांसी में बस स्टैंड के पास स्थित एक विवाह घर में आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन के लिए मंच और पंडाल तो अच्छा लगाया गया था, लेकिन पंडाल में उस वर्ग के चंद लोग ही थे, जिनके लिए यह आयोजन हुआ था. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा और पूर्व कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे को सामने लाकर बसपा ने कोशिश तो की, लेकिन ब्राह्मण समाज ने सम्मेलन को भाव नहीं दिया. हालांकि कुछ ब्राह्मण दिखे भी तो वह कार्यक्रम शुरू होते ही निकल गए.
वहीं भाषण के बाद प्रेस से वार्ता कर रहे बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा से जब अनुराधा शर्मा की सम्मेलन से दूरी का सवाल पूछा गया तो वह तिलमिला गए. उन्होंने कहा कि सम्मेलन के बारे में पूछिए,लेकिन जब दोबारा यही सवाल हुआ तो वह उठ खड़े हुए.
गौरतलब है कि अनुराधा शर्मा उनकी (सतीश मिश्रा) की समधन भी हैं. जबकि बीएसपी में रहीं समधन अनुराधा शर्मा के सतीश चंद्र मिश्रा के कार्यक्रम से दूरी को लेकर बुन्देलखंड में पार्टी की बेचैनी को बढ़ाने का काम कर गई.
यही नहीं, इस कार्यक्रम में मौजूद बबीना के पूर्व विधायक कृष्णपाल राजपूत को मंच पर जगह नहीं मिली. वह पंडाल में अलग बैठे रहे. पूर्व बसपा विधायक को किसी भी नेता ने मंच पर आने तक के लिए नहीं बोला. इसी वजह से पूर्व विधायक का अलग बैठना चर्चाओं में रहा. प्रबुद्धजनों के सम्मेलन में ब्राह्मणों के पूरी तरह से दूरी बना लिए जाने के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे है कि बुन्देलखंड में बीएसपी का वजूद भी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया, यह होगा नया नाम
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